444 सालों के बाद फिर बदला इलाहाबाद का नाम, क्या आप जानते हैं इसका इतिहास ?
इलाहबाद का नाम प्रयागराज कैसे पड़ा, जानिए इलाहबाद का इतिहास : देश में कुछ बदलाव हो तो अच्छा लगता मगर शहरों के नाम बदलना भी एक अलग इतिहास बन जाता है. जिस शहर का नाम अकबर ने इलाबाद कर दिया था लेकिन सालों के अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस बात की घोषणा की है कि इलाहाबाद का नाम बदलकर अब प्रयागराज होगा, वैसे अगर किसी ने इसका इतिहास पढ़ा होगा तो उन्हें पता होगा कि आज से ठीक 444 साल पहले यानी जब अकबर का राज यूपी पर नहीं था तब यहां का नाम प्रयागराज ही था और अब योगी आदित्यनाथ के फैसने ने वहां के ऋषि मुनि और साधू-संतों में खुशियां भर दी है.
इलाहबाद का नाम प्रयागराज हुआ
संत समाज भी उत्साहित है क्योंकि यहां की भक्ति और पुराणों की बात करें तो उन संतों ने इलाहाबाद को कभी इलाहाबाद नहीं बल्कि प्रयागराज ही माना था. बहुत समय से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की मांग उठ रही थी इसके पीछे का कारण इस शहर का पौराणिक और धार्मिक नजरिया था. 444 सालों के बाद फिर बदला इलाहाबाद का नाम, अब इसके बाद यहां के लोगों का रहन-सहन कितना बदलेगा ये तो समय ही बताएगा.
444 सालों के बाद बदला इलाहाबाद का नाम
साल 2017 में योगी सरकार उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई और उन्होंने जनता से वादा किया था कि वे इलाहाबाद के नाम बदलने के बारे में गंभीरता से सोचेंगे और उनका ये वादा अब पूरा हुआ. रामचरित मानस में इलाहाबाद को प्रयागराज ही कहा गया है और आपको बता दें कि संगम के जल से प्राचीन काल में राजाओं का राज्याभिषेक भी होता था. इस बात का उल्लेख वाल्मिकी रामायण में है और वन जाते समय श्रीराम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम में गए थे. भगवान श्रीराम जब श्रृंग्वेरपुर पहुंचे तो वहां पर प्रयागराज का ही जिक्र था और सबसे प्राचीन प्रामाणिक पुराण मत्स्य पुराण के 102 अध्याय से लेकर 107 अध्याय तक में इस तीर्थ स्थान का ही वर्णन है. उसमें लिखा है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती है. मगर अकबरनामा और आईने अकबरी के साथ-साथ दूसरे मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से पता चलता है कि अकबर ने साल 1574 में जानपास प्रयागराज में किले की नींव रखी थी. अकबर ने यहां का नया नगर बसाया और जिसके बाद उसने ही प्रयागराज का नाम बदलकर इलाहाबाद किया था लेकिन बहुत से लोग इसे प्रयागराज ही कहते थे.
कैसे बदलता है शहर का नाम ?
जब किसी शहर के स्थानीय लोग या जनप्रतिनिधि नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजते है तब राज्य मंत्रिमंडल उनके इस प्रस्ताव पर विचार करती है और मंजूरी देने के बाद राज्यपाल की सहमति को भेजती है. राज्यपाल प्रस्ताव पर अनुंशसा देने के साथ आखिरी मंजूरी के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय को भेजती है और गृहमंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य सरकार नाम बदलने की अधिसूचना जारी करती है. और इसी तरह इलाहबाद का नाम प्रयागराज हुआ
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