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राहु की महादशा पड़ेगी भारी, जानिए बचने के उपाय

राहु की महादशा: वैसे तो राहु ग्रह का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, परंतु ज्योतिष शास्त्र में इस ग्रह को शनि गह से भी अधिक प्रभावी माना जाता है. हालाँकि शनि न्यापूर्ण है और हर किसी को उसके कर्मो के अनुसार ही फल देते हैं लेकिन राहु ग्रह अच्छे और बुरे कर्मों को देख कर फल नही देता इसलिए राहु और केतु ग्रहों को पापी ग्रह माना जाता है. राहु की महादशा (rahu ki mahadasha) व्यक्ति की बुद्धि बुरी तरह से भ्रष्ट कर देती है और पीडित व्यक्ति कईं बिमारियों की चपेट में आ जाता है. राहु की महादशा किसी उक्ति से कम नही होती इसलिए राहु की दशा से बच कर रहना चाहिए. आपको बता दें कि राहु काल की महादशा लगभग 18 वर्ष की होती है जबकि इसकी अन्तर्दशा 2 साल 8 माह और 12 दिन की होती है. ज्योतिष दृष्टि से देखा जाए तो राहु की महादशा में विवाह में कईं बाधाएं आती हैं या विवाह देरी से होता है. ऐसे में राहु के दुष प्रभावों से बचने के लिए आज हम आपको सरल एवं उपयोगी उपाय बताने जा रहे हैं.

हिंदू धर्म के शास्त्रों में  को अशुभ ग्रह माना जाता है. क्यूंकि जिस व्यक्ति पर राहु की महादशा पडती है, वह अवश्य बीमार पड़ जाता है और जातक को उसकी बीमारी का पता भी नहीं चल पाता. कुछ लोग इसको छाया ग्रह मानते हैं. इसी ग्रह के चलते धरती पर सूर्य और चंद्र ग्रहण लगते हैं. राहु की महादशा (rahu ki mahadasha) को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है. चलिए जानते हैं उस कथा के बारे में और राहु के दुष्प्रभाव से बचने के कुछ उपायों के बारे में.

राहु की महादशा कथा

राहु की महादशा

ऐसी मान्यता है कि एक बार देवों और दानवों को अमृत देने के लिए विष्णु भगवान ने मोहिनी का रूप धारण किया था. इस रूप में जब वह बाकी लोगों को पंक्ति में अमृत पिला रहे थे तो राहु केतु छिप गए. लेकिन सूर्य और चंद्र ग्रह ने दोनों को छिपते हुए देख लिया था और उन्होंने तुरंत विष्णु भगवान को उनके बारे में बता दिया. राहु केतु ने समय का लाभ उठाते हुए स्वयं अमृतपान करना शुरू कर दिया. ऐसा करते देख विष्णु भगवान उनसे क्रोधित हो गए और अपनी कड़छी से उन पर प्रहार कर दिया. उनके इस प्रहार से एक ग्रह का सिर उड़ गया और एक का धड उड़ गया. हालाँकि उन्होंने पहले से अमृतपान कर लिया था इसलिए उनकी मृत्यु ना हो सकी जिसके बाद दोनों ग्रहों ने कठिन तपस्या की और आखिरकार उन्हें ग्रहों में सम्मिलित कर लिया गया.

राहु की महादशा के प्रभाव

राहु की महादशा

राहु ग्रह से पीड़ित जातक अपने आप में पराक्रमी और अभिमानी हो जाता है. ऐसे व्यक्ति को शिक्षा के क्स्शेत्र में रूझान नहीं रहता और यह उच्च शिक्षा स्तर तक नहीं पहुँच पाते. इस तरह के जातकों को जल्दी ही यश मिल जाता है. इनके दुष्ट स्वभाव के चलते इनका दिमागी संतुलन बिगड़े का खतरा बना रहता है. ऐसा व्यक्ति बेहद स्वार्थी किस्म का होता है और हमेशा नीच कर्म करता है. इसके इलावा इन जातकों में कामवासना भी अधिक होती है.

राहु की महादशा में उपाय

  • यदि आपकी जन्म कुंडली में राहु ग्रह चंद्र और सूर्य ग्रहों को प्रभावित कर रहा है तो पीड़ित व्यक्ति को भगवान शिव शंकर की सच्चे मन से आराधना करनी चाहिए क्यूंकि राहु ग्रह भगवान शिव के परम आराधक हैं.

  • सोमवार का व्रत हमे भगवान शिव के हृदय के करीब लाता है. ऐसे में राहु ग्रह से पीड़ित व्यक्ति हर सोमवार को व्रत रखें और शिव की पूजा करके शाम में खीर, मावे की मिठाई, दूध से बने अन्य पदार्थ ग्रहण करें.

राहु की महादशा

  • राहु महादशा (rahu ki mahadasha) में सूर्य, चंद्र तथा मंगल का अंतर काफी कष्टकारी होता है, अतः समयावधि में नित्य प्रतिदिन भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाकर दुग्धाभिषेक करना चाहिए
  • राहु से पीड़ित जातक को नियमित रूप से शिवपुराण का पाठ करना चाहिए.

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