राजनीति
मैनहोल से आ रही थीं बचाओ-बचाओ की आवाजे, झांका तो ये नजारा था
लखनऊ के लोहिया पार्क गेट नंबर एक के सामने गुरुवार सुबह चार बजे मॉर्निंग वॉक पर निकलीं कमला शुक्ला (62) कुत्तों के दौड़ाने पर 12 फीट गहरे मैनहोल में जा गिरीं। सुनसान होने के चलते वे मैनहोल में तड़पती रहीं। ‘बचाओ, बचाओ…’ की आवाज सुन भोर में टहलने वालों की भीड़ इकट्ठा हो गई। लोगों ने इमरजेंसी नंबर डायल कर पुलिस को बुलाया। आसपास के लोगों की मदद से डेढ़ घंटे बाद उन्हें बाहर निकाला जा सका
सुबह तो उनकी हालत ठीक थी, लेकिन दोपहर होते ही उनके पैर में असहनीय दर्द शुरू हो गया। यह मैनहोल एक साल से खुला पड़ा है। बड़ा सवाल है कि आखिर नगर को यह मैनहोल क्यों नहीं दिखता? विशालखंड निवासी कमला शुक्ला लोहिया पार्क गेट नंबर एक के सामने कुछ ही दूर सड़क पर चलने के बाद उन्हें कुत्तों ने दौड़ा लिया। भागते हुए खुला मैनहोल नहीं दिखा और वे उसमें जा गिरीं।
उनकी रोने की आवाज सुन मौके पर सैकड़ों राहगीर व मोहल्ले के लोग इकट्ठा हो गए। लोगों की सूचना पर पुलिस आ गई। लेकिन पुलिस को यह समझ नहीं आ रहा था कि महिला को कैसे निकाला जाए। तभी उन्होंने फायरब्रिगेड को फोन कर दिया। तब तक आसपास के लोगों ने सामने के मकान से पतली सीढ़ी की व्यवस्था कर ली।
सीढ़ी में रस्सी बांधकर गड्ढे में डाला गया और महिला को धीरे-धीरे ऊपर आने को कहा गया। जब वह ऊपर चढ़ने लगीं तो लोगों ने राहत की सांस ली। पुलिस व आसपास के लोगों ने उन्हें घर पहुंचाया।विशाल खंड-एक की रहने वाली सुमन, सरोज व शिव कुमार यादव का कहना है कि यह मैनहोल पिछले एक साल से खुला पड़ा है।
लोहिया पार्क में रोजाना हजारों लोग सुबह व शाम टहलने के लिए आते हैं लेकिन नगर निगम ध्यान ही नहीं दे रहा जो लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। पुलिस के फोन करने के करीब एक घंटे बाद दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे। तब तक कमला को निकाला जा चुका था। गनीमत तो यह रही कि बारिश का समय नहीं था मैनहोल में पानी कम था, वर्ना तो उन्हें बचा पाना काफी मुश्किल हो जाता।
मोहल्ले की अमिता व सीमा का कहना है कि कमला फूलों की बहुत शौकीन हैं वे रोजाना सुबह चार बजे निकल जाती हैं। साथ में झोला लेकर जाती हैं जिसमें वापसी में टहलने के बाद फूल तोड़कर लाती हैं। उन्होंने घर में काफी बागवानी लगा रखी है। जिन्हें सुबह शाम वे रोजाना एक घंटे देखरेख में समय देती हैं।