जानें आखिर मोदी सरकार ने क्यों लिया नोटबंदी का फैसला? क्या यह टॉप सीक्रेट रिपोर्ट थी इसकी वजह!
नई दिल्ली – सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का फैसला जाली भारतीय मुद्रा नोट (FICN) को चलन से बाहर करने में मदद करेगा जोकी तकरीबन 400 करोड़ रुपये है। कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (ISI) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा कराए गए अध्ययन का उल्लेख करते हुए विशेषज्ञों ने सरकार से कहा था कि प्रचलन में जो जाली मुद्रा है उसका मूल्य तकरीबन 400 करोड़ रुपये है, जो पिछले चार वर्षों से स्थिर है। अध्ययन में यह भी बताया गया था कि यह पिछले चार साल में 2011-12 से 2014-15 के बीच एक ही स्तर पर रहा है। Currency ban decision top secret study.
टॉप सीक्रेट स्टडी से सरकार हुई सख्त (Currency ban)–
पीएम मोदी द्वारा 1000 और 500 के पुराने नोटों का चलन बंद करने का फैसला लिए जाने की अहम वजह देशभर में नकली नोटों के जाल को लेकर इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टिट्यूट (ISI) सहित कई सिक्यॉरिटी एजेंसियों की तरफ से हुई टॉप सीक्रेट स्टडी है।
इस स्टडी को फरवरी और मार्च में पीएम नरेंद्र मोदी के सामने रखा गया थी। इस पर मोदी ने अपनी टीम को काम करने के लिए कहा था। ब्लैक मनी और जाली नोट के खिलाफ एक ही बार में कार्यवाही करने का फैसला टॉप लेवल पर था। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल 400 करोड़ रुपये के जाली नोट यानी फेक इंडियन करंसी नोट (एफआईसीएल) चल रही थी।
नकली करंसी के मामले में भारत हो गया था नंम्बर वन (Currency ban) –
ब्रिटेन, कनाडा, मेक्सिको जैसे देशों के मुकाबले भारत में नकली करंसी की संख्या ज्यादा है। यहां हर 10 लाख रुपये के नोट पर 250 रुपये के नकली नोट होने का अनुमान है। एक अनुमान यह भी है कि हर साल इंडियन इकॉनमी में 70 करोड़ रुपये के जाली नोट मिलाने की कोशिश की जा रही है जिसमें से एक तिहाई ही पकड़ में आ पाते हैं।
स्टडी में यह भी पाया गया था कि तीन प्राइवेट सेक्टर बैंकों- HDFC, ICICI और एक्सिस बैंक ने 80 पर्सेंट जाली इंडियन नोट पकड़े हैं।