जब राधा के शरीर को देखकर अंचभित हो गईं थी रुक्मणी, नहीं जानते होंगे ये कहानी
हमारे देश में प्यार के पाने के ले लड़ाई लड़नी पड़ती है , लेकिन सच तो ये है कि प्रेम तो हमारे भगवान ने भी किया था जिसमें महादेव पार्वती सीता- राम, राधा-कृष्ण सभी का जिक्र होता है। हालांकि किसी के प्रेम की तुलना नहीं की जा सकती, लेकिन फिर भी राधा और कृष्ण का प्रेम एक अलग ही तरह के भाव की बात करता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि शिव-पार्वती और सीता-राम ने विवाह किया था, लेकिन राधा-कृष्ण शादी के बंधन में नहीं बंधे थे और उनका अधूरा मिलन ही उनके प्रेम को पूरा करता है।आइये आपको बताते हैं उनके प्रेम से जुड़ी एक ऐसी ही कहानी।
कृष्ण की पत्नी थी रुक्मणी जीं, लेकिन फिर भी राधा कृष्ण के रोम रोम में वास करती हैं। इस बात का प्रमाण एक कहानी से मिलता है। एक बार रुक्मणी ने भोजन के बाद कृष्ण को दूध पीने को दिया। भगवान को दूध-घी बेहद ही प्रिय है और इसलिए उन्होंने जल्दी से वो दूध पी लिया, लेकिन दूध इतना गर्म था कि उनके मुख से दर्द के मारे निकल गया- हे राधे। पति के मुख से राधा का नाम सुनकर रुक्मणी ने कहा कि –मैं भी आपसे गहन प्रेम करती हूं, लेकिन आपके मुख से हमेशा राधाजी का नाम क्यों निकलता है। ऐसा क्या है राधा जी में, आप मुझे क्यों नहीं बुलाते?
कृष्ण भगवान इस सवाल पर मंद मंद मुस्कराते हुए बोले कि आप राधा से मिली हैं? रुक्मणी से ना रहा गया और वो राधा जी से मिलने उनके महल तक पहुंच गई। जब रुक्मणी राधाजी के महल के बाहर पहुंची तो उन्होंने बहुत ही खूबसूरत महिला के देखा। उसके चेहरे पर गजब का तेज था। रुक्मणी आगे बढ़ीं और उन्होंने उस स्त्री के पैर छू लिए।
स्त्री ने तुरंत पूछा कि आप कौन हैं और किसलिए आई हैं। रुक्मणी ने अपने आने का कारण बताया। स्त्री ने कहा कि मैं तो राधाजी की दासी हूं और राधा जी से मिलने के लिए आपको सात द्वार पार करने होंगे। रुक्मणी ने एक एक द्वार पार किए। हर द्वार पर बहुत ही खूबसूरत महिलाएं थी और उनके चेहरे पर वैसा ही तेज था। रुक्मणी ने सोचा की अगर दासियां इतनी सुंदर हैं तो राधारानी के रुप की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती।
रुक्मणी ने जब राधा के कक्ष में कदम रखा तो राधा के तेजस्वी रुप और खूबसूरती को देखकर वो उनके चरणों में समर्पित हो गईं। तभी उनकी नजर राधाजी के शरीर पर पड़ी जिसपर जबरदस्त छाले पड़े हुए थे। रुक्मणी ने अंचभित होकर पूछा- आपके शरीर पर इतने छाले कैसे हो गए। राधा ने जवाब देते हुए कहा कि कल आपने कृष्णजी को गर्म दूध दे दिया था जिससे उनके दिल पर छाले पड़ गए, उनके दिल में तो मेरा वास है इसलिए मुझपर ही सारे छाले पड़ गए…..
कृष्ण के रोम रोम में वास करने वाली राधा का विवाह भले ही कृष्ण के साथ ना हुआ हो, लेकिन वो और कृष्ण एक ही हैं। उनके एक होने का प्रमाण इस बात से ही मिल जाता है कि कहीं भी कृष्ण की पूजा उनकी पत्नी रुक्मणी या रानियों के साथ नहीं होती बल्कि उनका नाम हमेशा राधा के साथ ही जुड़ता है। उनका प्रेम और समर्पण किसी भी तर्क से ऊपर है। वो प्रेम है जो निस्वार्थ है…..