पहले जिस हिंदी भाषा को लोग हेय दृष्टि से देखते थे आज वही हिंदी भाषा तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। आजकल ट्वीटर पर हिंदी में ट्वीट करने का ट्रेंड है। भारत और अमेरिकाओं के शोधकर्ताओं की तरफ़ से किए गए एक शोध में यह बात सामने आयी है। शोध में यह बात भी सामने आयी कि ऑनलाइन फ़ैन फ़ॉलोइंग के मामले में पीएम मोदी आज भी सबसे आगे बने हुए हैं। वहीं जनवरी से अप्रैल 2018 के बीच राहुल गांधी ने अन्य भारतीय राजनेताओं की अपेक्षा सबसे ज़्यादा ट्वीट किए थे।
शोध के अनुसार 2016 के उत्तरार्ध में भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों के हिंदी में किए गए ट्वीट को बेहतर प्रक्रिया मिल रही है, जबकि क्षेत्रीय पार्टियों के अन्य भाषाओं के ट्वीट को उतनी बेहतर प्रक्रिया नहीं मिल रही है। बता दें मिशिगन विश्वविद्यालय के जॉयजीत पाल और लिज़ बोज़ार्थ की तरफ़ से किए गए एक अध्ययन में यह पता चला कि भारत में सोशल मीडिया 2014 से विकसित होना शुरू हुआ। उस समय ट्वीटर पर अधिकांश ट्वीट अंग्रेज़ी भाषी शहरी आबादी वाले लोगों के होते थे। अध्ययन में पाया गया कि हिंदी भाषा में किया जाने वाला ट्वीट तेज़ी से शेयर किया जाता है और ज़्यादा लोकप्रिय भी होता है।
इस पूरे रुझान में आए बदलाव की वजह यह है कि ज़्यादातर भारतीय राजनेताओं की तरफ़ से पिछले साल हर 15 री-ट्वीट्स में से 11 हिंदी भाषा के रहे। इस अध्ययन में यह बात भी सामने आयी है कि भाजपा सोशल मीडिया फ़ॉलोइंग के मामले में सबसे आगे है। यूएम स्कूल ऑफ़ इंफ़ोर्मेशन के सहायक प्रोफ़ेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक पाल ने बताया कि सोशल मीडिया फ़ॉलोइंग के पैमाने पर सत्तारूढ़ भाजपा सबसे आगे चल रही है। इसकी वजह है कि वह केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही है।
वहीं अन्य राजनीतिक पार्टियाँ भी सोशल मीडिया की भूमिका को समझ रही हैं। पाल और छात्र लिज़ बोज़ार्थ ने अपने शोध के दौरान 274 राजनेताओं और राजनीतिक अकाउंट्स से सम्बंधित आँकड़ों को एकत्र किया। इस दौरान दो बातों का ख़ास ध्यान रखा गया कि नेताओं की पार्टी मशीनरी में अधिकारिक पद क्या है और उनके कितने फ़ॉलोअर्स हैं। इस शोध में कम से कम 50 हज़ार फ़ॉलोअर्स वालों को ही शामिल किया गया था। वहीं सोशल मीडिया पर भाषा का इस्तेमाल राजनेताओं के चुनावी क्षेत्र के लोगों का परिचायक नहीं था। लेकिन इससे यह बात तो पता चलती है कि राजनेता किससे ऑनलाइन बात कर रहे हैं।
पाल ने बताया कि भाषा भी व्यक्त की जा रही भावनाओं का संकेतक हो सकती है। हिंदी में कुछ सबसे ज़्यादा री-ट्वीट किए गए संदेशों में कटाक्ष या अपमान का भाव है। पाल ने बताया कि यह पिछले शोध की बातों को ही सही साबित करता है कि अंग्रेज़ी की तुलना में स्थानीय भाषाएँ ज़्यादा मज़बूती से लोगों की भावनाओं को एक-दूसरे से जोड़ने में सफल रहती हैं। पाल ने कहा कि अब हम उस युग की तरफ़ अग्रसर हैं, जिसमें राजनेता लोगों से संवाद के लिए पारंपरिक समाचार मीडिया की तुलना में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर ज़्यादा ज़ोर देंगे।