भारत की इस बहादुर बेटी पर पाकिस्तान ही नहीं US को भी है गर्व, जानिये इनकी रियल लाइफ स्टोरी
नीरजा भनोट 22 साल की एक लड़की जिसने पूरे दुनिया में इंसानियत की गजब मिसाल पेश की। इस छोटी सी उम्र में नीरजा ने दूसरों को बचाते हुए अपनी जान दे दी। यह कार्य तो आमतौर पर सेना के जवानों का होता है लेकिन नीरजा सेना की जवान तो नहीं थी पर उसमें बहादुरी और साहस कूट कूट कर भरी थी। नीरजा ने जब अपनी जान दी तो यह उसकी बचपन और जवानी के बीच की उम्र थी। मतलब जवानी सिर पे सवार होने की कोशिश कर रही होती है। जबकि बचपना का एहसास भी मन को सुख से भर देता है। ऐसी उम्र में दूसरों के लिए जान दे देना, नीरजा की तरह कोई साहसी और बहादुर ही कर सकता है।
नीरजा भनोट का शुरूआती जीवन-
हरिश भनोट के घर 7 सितंबर 1963 को जन्मी नीरजा भनोट। नीरजा का जन्म चंडीगढ़ में हुआ। मात्र 21 साल की उम्र में शादी हो गई। वैवाहिक जीवन से परेशान नीरजा शादी के मात्र दो महीने बाद अपने मम्मी पापा के पास वापस आ गई। इसके बाद पैन एॉम एयरलाइंस में फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी के लिए एप्लाई किया और इसमें उनका सेलेक्शन हो गया। फ्लाइट अटेंडेंट में चुने जाने के बाद नीरजा मायामी गईं। और वहाँ प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण काल में ही नीरजा ने प्लेन के अंदर एंटी हाइजैकिंग नामक कोर्स में दाखिला लिया। घरवालों ने इसका विरोध किया और इस कोर्स में एडमिशन लेने से मना कर दिया। घर वालों ने नौकरी तक छोड़ने को कह दिया। लेकिन नीरजा ने सूझ बूझ और देश के प्रति जिम्मेदारी बताते हुए अपने घर वालों को मनाया। आपको बता दें कि नीरजा पैन एॉम में फ्लाइट अटेंडेंट बनने से पहले मॉडलिंग का काम भी करती थीं। विको और गोदरेज डिटर्जेंट पावडर जैसे चीजों के लिए विज्ञापन में भी काम किया।
पैन एम प्लेन हाइजैक-
पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर अबु निदाल ग्रुप के चार आतंकवादियों ने पैन एम फ्लाइट 73 जो मुंबई से न्यूयार्क जा रही थी, तारीख 5 सितंबर 1986 का था। जिस फ्लाइट में 361 यात्री और 19 फ्लाइट के क्रू मेंबर फ्लाइट में मौजूद थे, को हाइजैक कर लिया। नीरजा ने जब ये बात फ्लाइट के पायलटों को बताई तो फ्लाइट में मौजूद तीनों पायलट सुरक्षित निकल गए। अब फ्लाइट में मौजूद सभी यात्रियों की जिम्मेदारी नीरजा पर आ गई, क्योंकि नीरजा फ्लाइट में सीनियर अटेंडेंट के रूप में थी। आतंकवादियों ने नीरजा के सभी पासपोर्ट इकट्ठा करने को कहा, जिसमें उन्हें ये पता लगाने में आसानी होती कि कौन अमेरीकी है। नीरजा ने सूझबूझ के साथ पासपोर्ट इकट्ठा किया और अमेरीकी लोगों के पासपोर्ट छिपा दिए। 15-17 घंटे बाद आतंकवादियों ने प्लेन में बम फिट कर दिया।
इसके बाद नीरजा के ऊपर यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने की जिम्मेदारी आ गई। और नीरजा ने अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और प्लेन के आपातकालीन द्वारों को खोल दिया जिससे यात्री सुरक्षित निकल पाए। तीन बच्चों को नीरजा प्लेन से बाहर निकाल रही थी, बच्चे तो बाहर निक गए लेकिन नीरजा पर आतंकवादियों ने गोलियों की बौछार कर दी। और नीरजा जिसके खुद कितने सपने रहे होंगे, लेकिन मानवीयता और दूसरों को बचाने के लिए खुद अपनी जान गंवा बैठी।
नीरजा को मिला कई देशों से अवार्ड-
भारत सरकार ने इस बहादुरी के लिए नीरजा को अशोक चक्र से सम्मानित किया। वहीं पाकिस्तान की सरकार ने भी तमगा ए इंसानियत से नवाजा। 2005 में अमेरिका ने भी नीरजा को जस्टिस फॉर क्राइम अवार्ड से सम्मानित किया। भारत सरकार ने नीरजा का सम्मान करते हुए 2004 में डाक टिकट भी जारी किया। भारत में 2016 में राम माधवानी के निर्देशन और सोनम कपूर के अभिनय से नीरजा नामक फिल्म भी बनी। पूरी दुनिया नीरजा को “हिरोइन अॉफ हाईजैक” के नाम से पहचानती है।