मोदी के दांव से चित्त हुआ चीन, चीन के 1.50 लाख करोड़ को इस नेता ने लेने से किया इंकार
जब कोई हमें किसी तरह से हरा नहीं पाता तो हमारे ऊपर एहसान डालने की कोशिश करता है. कुछ ऐसा ही इऩ दिनों चीन करने में लगा हुआ है. श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों को कर्ज देने के बाद धोखा देने वाले देश चीन ने जब मलेशिया पर कर्ज देने का दबाव बनाया तो उससे बचने के लिए मलेशिया ने भी दूसरा दाव खेल दिया. मलेशिया के नए प्रधानमंत्री महातिर मुहम्मद ने वन रोड एंड वन बेल्ट (OROB) के अंतर्गत चल रहे चीनी प्रोजेक्ट को अब दूसरा झटका दिया है. महातिर मुहम्मद ने चीनी कंपनी की ओर से करीब 100 अरब डॉलर की मदद से बसाई जाने वाले वाले फॉरेस्ट सिटी टाउनशिप प्रोजेक्ट पर सख्ती की और इस प्रोजेक्ट को डेवलप करने वाली चीनी कंपनी कंट्री गोल्डेन होल्डिंग से साफ कहा कि यहां जो भी घर बनेंगे, कंपनी उसे विदेशियों को नहीं बेच पाएगी. इतना ही नहीं विदेशियों को इस टाउनशिप में लंबे समय तक बसने की भी परमिशन नहीं होगी. क्योंकि कंपनी यहां करीब 700,000 लोगों के लिए टाउनशिप बनाना चाहती थी. ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक दाव खेला है और मोदी के दांव से चित्त हुआ चीन, चलिए बताते हैं ऐसा क्या किया मोदी ने ?
मोदी के दांव से चित्त हुआ चीन
पीएम मोदी ने 3 महीने पहले मलेशिया का दौरा किया था, यहां वे मलेशिया के पीएम महातिर मुहम्मद से खासतौर पर मिलने के लिए गए थे. इस दौरान दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग को नए लेवल पर लिया और सहमति भी जताई. भारत और मलेशिया के बीच बड़ी सामरिक साझेदारी हो रही है और विदेश मंत्रालय के अनुसार, मलेशिया भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी में एक अहम किरदार निभा रहा है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी महातिर से मिलने वाले शुरुआती वर्ल्ड लीडर्स में से एक की लिस्ट में शामिल हो गए हैं. मलेशिया साउथ ईस्ट एशिया में मौजूद प्रमुख एशियन देशो में एक है, एक समय एशियन देशों के इकोनॉमी के इंजन के रूप में काम करने वाली मलेशियाई सरकार दूसरे पड़ोसी देशों की तरह दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते असर को कम करने के लिए भारत का भरपुर सहयोग करना चाहती है. इसी के चलते मोदी सरकार ने लुक ईस्ट पॉलिसी पर ज्यादा फोकस किया है और हाल ही में भारत ने मलेशिया सहित तमान एशियन देशों के साथ कई तरह के कारोबारी संबंध बनाए हैं. एक सॉफ्ट पावर और पुराने कल्चरल रूट के चलते ये देश भारत के साथ कारोबार और प्रोजेक्ट शुरू करने को लेकर बहुत ज्यादा उत्सुक है और यही कारण है कि भारत और दूसरे एशियन देशों के बीच कारोबार बढ़ा है. वहीं चीन के साथ मलेशिया और बाकी देशों की भी दूरियां बढ़ रही हैं.
आपको बता दें कि महातिर सरकार अपने देश में जारी करीब 22 अरब डॉलर (1.5 लाख करोड़ भारतीय रुपए) के चीनी प्रोजेक्ट को जुलाई में बंद करने का फैसला किया. मोलेशिया में महातिर मुहम्मद की नई सरकार के आने के बाद चीन को बहुत बड़ा और पहला झटका मिला इसके बाद चीन समर्थित इन परियोजनाओं को पूर्व की नजीब रजक सरकार ने अपनी मंजूरी दी.