गोविंदाचार्य ने पीएम मोदी के बारे में कही बड़ी बात, अभी मोदी सीख रहे हैं, अनुभव कर रहे हैं
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सिद्धांतकार रह चुके केएन गोविंदाचार्य के बहुत ही जानें-मानें नाम हैं। इन्हें संघ के स्वदेशी आंदोलन और हिंदुत्व के बेहद सुलझे हुए विचारकों में गिना जाता है। गोविंदाचार्य ने 2000 में ही संघ और भाजपा पार्टी दोनो को एक साथ अलविदा कह दिया था। कई लोगों का मानना है कि इन्होंने ही अटल बिहारी वाजपेयी को आरएसएस का मुखौटा बताया था, इसी वजह से दोनो के सम्बन्धों में दरार आ गयी थी।
इसी वजह से अंत में इन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी। गोविंदाचार्य का एक परिचय यह भी है कि वो किसी भी मुद्दे पर अपनी साफ़ और स्पष्ट राय रखते हैं। एक समय ऐसा भी था जब गोविंदाचार्य ने भाजपा पर जमकर हमले किए थे। इन्होंने भाजपा को चापलूसी का अड्डा तक कह दिया था। जब गोविंदाचार्य से पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बारे में पूछा गया तो इन्होंने यह कहते हुए सवाल टाल दिया कि वो व्यक्तियों के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहते हैं। हालाँकि गोविंदाचार्य ने यह कहा कि पीएम मोदी की मंशा ठीक है।
गोविंदाचार्य ने कहा कि पीएम मोदी काफ़ी मेहनत करते हैं। इसके साथ यह भी कहा कि पीएम मोदी जिस शासन तंत्र के तहत काम कर रहे हैं, वह बहुत पुराना है। तंत्र की ट्रेनिंग में दोष है। इसी वजह से कुछ काम हुआ और कुछ बच गया। मोदी जी राज्य की सत्ता से सीधे केंद्र की सत्ता में आ गए हैं, इसलिए उन्हें यह सब सीखने में थोड़ा समय लगेगा। अभी वो सीख रहे हैं। गोविंदाचार्य ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी अटल जी को मुखौटा नहीं कहा था। अख़बार में लिखे गए एक लेख से यह पूरा विवाद शुरू हुआ था।
जब यह विवाद खड़ा हुआ था, तब मैंने इसका खंडन भी किया था। अटल जी ने कहा था छोड़ो ये सब तुम, कुछ नहीं है इसमें। तुम शांति से अपना काम करो। वो बहुत संवेदनशील नेता थे। अटल जी का सिद्धांत था व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा देश। हर क़ीमत पर सत्ता उन्हें कभी क़बूल नहीं थी। 1984 में जब दिल्ली में सिख विरोधी दंगे फैले थे तो उस समय वो दंगाइयों और पीड़ितों के बीच में खड़े हो गए थे। भाजपा और आरएसएस के सम्बंध के बारे में गोविंदाचार्य ने कहा कि संघ को कभी भी किसी राजनीतिक बैसाखी की ज़रूरत नहीं पड़ती है।
संघ अपने हिसाब से काम करता है। अगर भाजपा संघ के कार्यकर्ताओं की भावना का ख़याल रखता है तो कार्यकर्ता चुनाव में पार्टी का साथ देते हैं। जब ऐसा नहीं होता है तो कार्यकर्ता उदासीन हो जाते हैं। मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर गोविंदाचार्य ने कहा कि इसके लिए देश की सरकारें दोषी हैं। यह सरकार भी और पिछली सरकार भी सभी सरकार इसके लिए दोषी है। यह बात सभी लोग जानते हैं कि गाय के साथ लोगों की भावनाएँ जुड़ी हुई हैं। जब भावनाओं को अनदेखा किया जाएगा तो जनभावना भड़केगी ही। इसके लिए गोरक्षकों का नहीं बल्कि सरकार का दोष है। बाबरी मस्जिद के समय भी यही हुआ था। जनभावनाओं का ख़याल नहीं रखा गया और जो हुआ वह देश के सामने है। समस्याओं से मुँह मोड़ लेने से समस्याएँ ख़त्म नहीं हो जाती हैं।