अध्यात्म

मामा कंस के अलावा भी थे भगवान श्रीकृष्ण के कई शत्रु, जानिए कौन कौन थे इनके सबसे बड़े दुश्मन?

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी करीब है और इस बार जन्माष्टमी खास है, जन्माष्टमी महोत्सव इस बार दो दिन तक मनाया जाएगा। 2 सितंबर के रात्रि से शुरू हो रहा जन्माष्टमी 3 सितंबर के शाम 7 बजे तक रहेगा। कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है जिनका अवतरण द्वापर युग में हुआ, भगवान कृष्ण को द्वारकाधीश, वासुदेव, देवकीनंदन, श्याम, कन्हैया आदि नामों से भी जाना जाता है। उनकी बाल्या अवस्था गोकुल में बीती, जहां उनके पालक यशोदा और नन्द थे। उनके चरित्र को महाभारत और श्रीमद्भागवत गीता में विस्तार दिया गया है। आज हम आपको इस लेख के जरिए बताएंगे कि भगवान श्रीकृष्ण के दुश्मन कौन-कौन थे, जो उनसे प्रत्यक्ष दुश्मनी रखते थे।

वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण ने कई बड़े काम किए और बहुत से असुरों को भी मारा। लेकिन उनका सबसे बड़ा शत्रु उनके खुद के मामा कंश थे। इनके अलावा भी उनके बहुत से शत्रु थे। तो आइये जानते हैं कि श्रीकृष्ण के वे कौन कौन शत्रु थे।

  • मामा कंस- मामा कंस श्रीकृष्ण का बड़ा शत्रु था। कंस की बहन देवकी के पुत्र ही श्रीकृष्ण थे। कंस अपनी बहन देवकी से बहुत अधिक स्नेह करता था। लेकिन एक दिन जब अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव के साथ कंस रथ पर सवार था तो अचानक आकाशवाणी हुई कि, तेरी बहन का आठवां पुत्र ही तेरा वध करेगा। तभी से देवकी और वसुदेव को कंस ने जेल में डाल दिया और एक एक करके देवकी के सात पुत्रों को कंस ने मार डाला। जब देवकी को आठवां पुत्र श्रीकृष्ण हुए तो भगवान का अवतरण हुआ और वसुदेव ने कृष्ण को नंद के घर मथुरा में छोड़ दिया। बाद में कंस ने कई चालें चलकर कृष्ण को मारने की योजना बनाई लेकिन सारी चालें भगवान के विरूद्ध असफल हुईं। उसके बाद एक दिन कंस ने पहलवानी का कार्यक्रम रखा। जिसमें श्रीकृष्ण ने कंस के कई पहलवानों को हरा दिया और अंत में कंस को ही उसकी गद्दी से नीचे अखाड़े में लाकर उसका वध कर दिया। इस प्रकार से कृष्ण ने अपने माता पिता देवकी और वसुदेव को मुक्ति दिलाई। उसके बाद मथुरा का नरेश कंस के पिता उग्रसेन को बना दिया। इस प्रकार से कृष्ण ने त्याग और साहस का आदर्श स्थापित किया।

  • जरासंध- जरासंध कृष्ण के मामा कंस का ससुर था। कंस के बाद जरासंध ही कृष्ण के दूसरे बड़े शत्रु थे। कृष्ण ने जरासंध के वध की योजना बनाई और स्वंय कृष्ण के साथ अर्जुन समेत भीमसेन जरासंध के यहां कुश्ती का प्रस्ताव लेकर पहुँचे। और उसे किसी एक के साथ लड़ने को ललकारा। जरासंध ने भीमसेन के साथ लड़ना स्वीकार किया। और यह मल्ल युद्ध 13 दिनों तक चला। तब श्रीकृष्ण ने भीमसेन को घास के एक तिनके से इशारा किया और फिर भीमसेन ने वही किया जो कृष्ण चाहते थे। मतलब जरासंध के दो टुकड़े कर दोनों टुकड़ों को अलग अलग दिशाओं में फेंक दिया।

  • शिशुपाल- शिशुपाल श्रीकृष्ण का जन्मों से दुश्मनी रखता था। एक बार पांडवों और कृष्ण के द्वारा एक यज्ञ रखा गया था। जिसमें कई राजाओं को बुलाया गया उसमें शिशुपाल भी आया और उसने कृष्ण को अपशब्द कहकर अपमानित करने की कोशिश की। लेकिन कृष्ण ने शिशुपाल को 100 गालियों तक क्षमा करने का प्रण लिया था। शिशुपाल ने जैसे ही 100 से अधिक अपशब्द कहे तो भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर दिया।
  • पौंड्रक- यह कृष्ण की तरह ही चक्र, शंख, पीतांबर अादि धारण करता था। बहुत समय तक उसकी हरकतें श्रीकृष्ण सहते रहे लेकिन बाद में भगवान कृष्ण ने पौंड्रक का भी वध कर दिया।

Back to top button
https://ndi.fda.moph.go.th/
https://bemfh.ulm.ac.id/id/ https://newstrend.news/swen/ https://rentohotels.com/ https://whlconsultants.com/ galaxy77bet
slot gacor slot demo
https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/200/ https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/scatter-hitam/
https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/thailand/ https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/dana/
https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/oneplay77gala/ https://heylink.me/turbobet77login/ https://heylink.me/mustang77pro/ https://heylink.me/galaxy77betpro/ https://heylink.me/marvel77game/ https://heylink.me/taipan77login/ https://heylink.me/republik77alter/ https://heylink.me/binjaiplay77-login/ https://heylink.me/dutaslot77-loginn/ https://heylink.me/doremiplay77-login/ https://heylink.me/slotnesia77-loginn/ https://heylink.me/mandala77_login/ https://heylink.me/arenaslot77_login/ https://heylink.me/arenabet77-login/ https://heylink.me/Sultanbet77.daftar/ https://heylink.me/sultanplay77.login/ https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/kotacuanplay/ https://heylink.me/play77betpro/ https://heylink.me/tokofun/ https://heylink.me/fun77betpro/ https://heylink.me/captain77warrior/ https://heylink.me/Jaguar77pro/ https://heylink.me/thebestmustang77/ https://heylink.me/tokoholyplay/ https://heylink.me/rukocuan/ https://heylink.me/indopedia77pro/ https://heylink.me/tokoindofun17/ https://heylink.me/sultanbet77gaming/ https://heylink.me/sultanplay77gaming/ https://heylink.me/oneplay77alternatif/ https://heylink.me/marina77maxwin/ https://heylink.me/play77alternatif/ https://heylink.me/cukongplay77gaming/ https://heylink.me/playwin77-/ https://lynk.id/play77new https://lynk.id/fun77new https://lynk.id/captain77 https://lynk.id/jaguar77new https://lynk.id/mustang77new https://lynk.id/indopedia77new misteritogel galaxy77bet galaxy77bet https://104.219.251.144/ https://www.incolur.cl/ galaxy77bet galaxy77bet https://galaxy77bet-jaya.com/ https://138.68.164.8/ https://137.184.36.152/ https://139.59.119.229/
https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/thai/ https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/xgacor/ https://www.mscba.org/hitam/ https://www.priboi.news/wp-includes/thailand/ https://www.tecnocontrol.cl/ https://www.quiporte.it/ https://www.mariscosgontelo.com/ https://presensi.upstegal.ac.id/ https://perpus.stik-sintcarolus.ac.id/ http://rengo921.lionfree.net/ https://www.desmaakvanitalie.nl/thailand/ https://b-happyrealisatie.com/ https://b-smartfundering.com/ http://context2.ai/ slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor https://www.mmsu.edu.ph/storage/uploads/xgacor/ https://alumni.mmsu.edu.ph/storage/uploads/hitam/ https://sas.mmsu.edu.ph/storage/uploads/thailand/ https://ieg.mmsu.edu.ph/storage/uploads/pulsa/
slot gacor slot thailand slot thailand slot gacor maxwin scatter hitam slot gacor slot demo slot demo https://officialstore.it.com/