क्या आप जानते हैं क्यों प्राकृतिक आपदाओं में भारत नहीं लेता कोई विदेशी मदद
नई दिल्ली: आज के कुछ साल पहले जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती थी तो भारत की पहली कोशिश यही रहती थी कि विश्व बैंक, आइएमएफ और अन्य विदेशी सरकारों से जितनी मदद मिल जाए अच्छा है। जिससे राहत एवं बचाव कार्य तेज़ी से हो सके। लेकिन 2004 के बाद से भारत ने किसी भी प्राकृतिक आपदा के लिए विदेशों से मदद लेने की परम्परा पर रोक लगा दिया। इस दौरान भारत की पूरी कोशिश रही कि ऐसे समय में भारत की तरफ़ से दूसरे देशों को दी जानें वाली मदद में बढ़ोतरी हो।
2004 में जब भारत सहित कई देशों को भयंकर सुनामी का क़हर झेलना पड़ा था उसके बाद भी भारत ने किसी अन्य देश से कोई वित्तीय सहायता नहीं ली। हालाँकि इस दौरान भारत ने श्रीलंका और थाईलैंड सहित कई देशों को आर्थिक मदद ज़रूर दी। यही वजह है कि इस बार जब केरल में भयानक बाढ़ आयी तो विदेशी सरकारों की तरफ़ से आने वाले सभी मदद के प्रस्तावों को विदेश मंत्रालय ने लेने से इनकार कर दिया। साथ ही सभी दूतावासों और मिशनों को यह याद दिलाया कि वह इसे नम्रता पूर्वक लेने से इनकार कर दे।
भारत करता है दूसरे देशों की मदद:
आपकी जानकारी के लिए बता दें भारत अपने इस फ़ैसले से दुनिया को यह बताना चाहता है कि वह अपनी समस्याओं से निपटने के लिए सक्षम है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2004 की सुनामी के बाद भारत को अमेरिका, जापान सहित कई देशों में वित्तीय मदद की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने सभी को धन्यवाद कहते हुए मदद लेने से मना कर दिया था। इन देशों को उस समय यह कहा गया था कि वो अपनी पसंद के एनजीओ को मदद दे सकते हैं। इसके अलावा भारत ने सुनामी से प्रभावित देश श्रीलंका, थाईलैंड और इंडोनेशिया को 2.65 करोड़ डॉलर की मदद की।
नेपाल को भूकम्प के बाद दिया था 1 अरब डॉलर:
उसके बाद से ही किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय भारत दूसरे देशों की बढ़-चढ़ कर मदद करता रहा है। 2005 में जब कश्मीर में भूकम्प आया था तो भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को 2.5 करोड़ डॉलर की मदद दी थी। जब 2011 में जापान के फुकुशिमा में आए भूकम्प की वजह से वहाँ के परमाणु संयंत्र में हुई दुर्घटना के बाद भारत ने मदद की थी। कुछ साल पहले आए नेपाल के भयानक भूकम्प के बाद भारत ने नेपाल को 1 अरब डॉलर की मदद दी थी। जानकारी के अनुसार भारत ने आख़िरी बार विदेशी मदद 2004 में बिहार बाढ़ के दौरान ली थी।
आपदा से निपटने के लिए भारत ने विकसित कर ली है पर्याप्त क्षमता:
उससे पहले गुजरात में 2001 में आए भूकम्प में कई देशों ने भारत को वित्तीय मदद दी थी। आपको बता दें पिछले दो दशकों में किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए भारत ने पर्याप्त क्षमता विकसित कर ली है। केरल की बाढ़ के बाद यह साफ़ तौर पर साबित हो चुका है। केरल में जिस तरह से बचाव अभियान चल रहा है, वह अपने आप में क़ाबिले-तारीफ़ है। इसी वजह से भारत अब किसी अन्य देश से आपदा के समय कोई आर्थिक मदद नहीं लेता है। वैसे अगर कोई विदेशी निजी संस्था आपदा के बाद पुनर्वास से जुड़े कार्यों में मदद करती है तो इसके लिए कोई रोक नहीं है।