नरेंद्र मोदी ने देश की सत्ता सम्भालते ही देश के विकास के लिए रात-दिन एक कर दिया। पीएम बनकर उन्होंने देश की विदेश नीति को मज़बूत किया और देश के अंदर कई ऐसी योजनाएँ शुरू की जिससे देश को लम्बे समय में काफ़ी फ़ायदा हो। हालाँकि कुछ ऐसी योजनाएँ भी हैं, जिनका फ़ायदा अभी लोगों को नहीं दिख रहा है, लेकिन आने वाले समय में इन योजनाओं का लाभ देश को ज़रूर मिलेगा। विपक्ष ने पीएम मोदी की कई योजनाओं को बेवजह का बताया है, जबकि ऐसा है नहीं।
बदलाव की वजह है मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट:
मेक इन इंडिया पीएम मोदी की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। इस योजना के तहत पीएम मोदी ने देश को काफ़ी फ़ायदा पहुँचाया है। भारत में मोबाइल हैंडसेट बनाने के लिए आइको सिस्टम तैयार होने की वजह से भारत के लगभग 3 लाख करोड़ रुपए बच गए हैं। यह बात आईसीईए (इंडिया सेलुलर एंस इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन) की तरफ़ से जारी की गयी हालिया रिपोर्ट से पता चला है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बदलाव के लिए पीएम मोदी की योजना मेक इन इंडिया है।
पहले माँग का 80 प्रतिशत मोबाइल आता था बाहर से:
इस रिपोर्ट को ध्यान दे देखा जाए तो बात सामने आएगी कि पिछले चार सालों के दौरान भारत में हैंडसेट बनाने और सीबीयू आयात कर उन्हें असेंबल करने के काम में बहुत तेज़ी आयी है। इस काम में कोई और नहीं बल्कि मेक इन इंडिया की वजह से इतनी तेज़ी आयी है। पिछले तीन साल में भारत में मोबाइल बनाने का काम बहुत तेज़ी से हुआ है। जबकि 2014-15 के दौरान भारत अपने बाज़ार की कुल माँग का लगभग 80 प्रतिशत बाहर से ही मँगाता था। लेकिन मेक इन इंडिया योजना शुरू होने के बाद सब बदल गया। मेक इन इंडिया के बाद भारत में तेज़ी से मोबाइल बनने लगे।
मोबाइल बनाने के मामले में भारत है दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश:
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस समय भारत मोबाइल बनाने के मामले में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। यानी भारत का नम्बर मोबाइल बनाने के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। रिपोर्ट में दिए गए आँकड़ों की बात की जाए तो 2017-18 में भारत में 22.5 करोड़ मोबाइल फ़ोन असेंबल और बनाए गए हैं। जो कि इस साल की माँग के हिसाब से लगभग 80 प्रतिशत है। इस वजह से भारत की शुद्ध विदेशी मुद्रा बचत लगभग 60 हज़ार करोड़ से ज़्यादा रही। दूसरी तरफ़ सीबीयू के इम्पोर्ट में भी काफ़ी गिरावट आयी है।
भारत सरकार के मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के बाद से ही भारत में इतने बड़े बदलाव हुए हैं। इसके बाद ही भारत में तकनीकी और दूरसंचार उद्योग में काफ़ी विकास हुआ है। इसके अलावा पिछले चार साल में भारत में मोबाइल हैंडसेट और कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री में लगभग 4.5 लाख युवाओं को रोज़गार भी मिला है। इसके साथ ही अलग-अलग राज्यों में 120 से भी ज़्यादा मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगायी गयी हैं। तो कुल मिलाकर जारी किए गए आँकड़ो से यह बात स्पष्ट होती है कि मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट सफल रहा है।