मॉरीशस आया भारत के समर्थन में कहा भारत हमारी माँ हैं, बेटे के तौर पर हम हैं उसके साथ
नई दिल्ली: भारत एक विविधता से भरा हुआ देश है। यहाँ कई भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं। लेकिन सबसे ज़्यादा हिंदी भाषा बोली जाती है। हिंदी को भारत की अधिकारिक भाषा भी माना जाता है। भारत कई दिनों से इस प्रयास में लगा हुआ है कि हिंदी को यूएन में अधिकारिक भाषा का दर्जा मिल जाए। लेकिन इसके राह में कई रोड़े आ रहे हैं। अब जानकारी के अनुसार मॉरीशस भी भारत के समर्थन में आगे आया है। सोमवार को हुए 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के मौक़े पर मॉरीशस ने यह बात की।
हिंदी को मिलना चाहिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थान:
आपकी जानकारी के लिए बता दें इस मौक़े पर मॉरीशस के मार्गदर्शक मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने कहा कि भारत हमारी माँ है और हम उसके बेटे के समान है। हम एक बेटे का फ़र्ज निभाते हुए संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को अधिकारिक भाषा बनाने की भारत की कोशिशों का समर्थन करते हैं। जगन्नाथ ने कहा कि अब समय आ गया है जब अन्य भाषाओं की तरह ही भारत की राजभाषा हिंदी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थान मिलना चाहिए। आपको बता दें मॉरीशस हमेशा से ही भारत के समर्थन में रहा है।
हमेशा की है हिंदी को आगे बढ़ाने की कोशिश:
आपकी बता दें अनिरुद्ध जगन्नाथ मॉरीशस के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनो रह चुके हैं। इन्होंने कहा कि हिंदी ने मॉरीशस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास के लिए अहम भूमिका निभाई है। विश्व हिंदी दिवस के मौक़े पर दोनो देशों के बीच सम्बंध और भी ज़्यादा गहरे हुए हैं। अनिरुद्ध जगन्नाथ ने आगे कहा कि उन्होंने जब से देश की सत्ता सम्भाली है। हमेशा ही हिंदी को आगे बढ़ाने की कोशिश की है। जगन्नाथ ने मॉरीशस में विश्व हिंदी मंत्रालय की स्थापना पर भी ख़ुशी जताई है।
अनिरुद्ध जगन्नाथ ने अपने भाषण के दौरान आगे कहा कि हमारे पूर्वज मॉरीशस में मज़दूरों के रूप में आए थे। भाषा और संस्कृति के अलावा उस समय उनके पास कुछ और नहीं था। उन्होंने उस समय अपने ख़ून और पसीने के दम पर अपना और अपने परिवारों को पालने का काम किया था। इसके साथ ही उन्होंने मॉरीशस को आज़ादी दिलाने में भी मदद की। आजकल की पीढ़ी भी देश को आगे ले जानें के लिए भरपूर कोशिश कर रही है। जगन्नाथ ने आगे कहा कि जिस तरह से सूर्य की किरणों को कोई नहीं रोक सकता है, ठीक उसी तरह से मॉरीशस के विकास को भी कोई नहीं रोक सकता है।
जगन्नाथ ने उम्मीद जताई है कि हिंदी सम्मेलन के बाद लोग हिंदी के प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। मॉरीशस में हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति का विकास होगा। आज की युवा पीढ़ी इसे बेहतर तरीक़े से आगे भी ले जाएगी। आपको बता दें हिंदी भाषा को अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिलाने की भारत काफ़ी समय से कोशिश कर रहा है, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। अब मॉरीशस के समर्थन के बाद थोड़ी उम्मीद जगी है लेकिन अभी भी राह इतनी आसान नहीं है। हालाँकि आगे क्या होगा, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।