अध्यात्म

भगवान शिव का ऐसा चमत्कारी मंदिर जहाँ आराधना करने वाला कोई भी व्यक्ति ख़ाली हाथ नहीं लौटता है

इस पृथ्वी पर आने वाले हर व्यक्ति को एक ना एक दिन इस दुनिया को अलविदा कहकर जाना ही पड़ता है। जिसने भी जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है। ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा तुरंत ही उसके शरीर से निकल जाती है। एक बार आत्मा अगर शरीर छोड़कर निकल जाए तो वह फिर उस शरीर में वापस नहीं आती है। आत्मा एक शरीर से निकालकर दूसरे नए शरीर में या दूसरी योनी में प्रवेश करती है। इसी वजह से आपने लोगों को अक्सर यह कहते हुए सुना होगा कि जो एक बार चला जाता है, वह वापस नहीं आता है।

लेकिन आप तो जानते हैं कि जन्म और मृत्यु सब ईश्वर का खेल है। वही जीवन देता है और वही जीवन लेता भी है। ईश्वर की मर्ज़ी हो तो कुछ भी हो सकता है। समय-समय पर भगवान कई चमत्कार दिखाते हैं। कई बार ऐसी घटनाएँ सामने आ चुकी हैं, जिसमें मरा हुआ व्यक्ति भी कुछ समय बाद ज़िंदा हो जाता है। भगवान चाहें तो वह ऋष्टि के नियमों में बदलाव भी कर सकते हैं। अगर जीवन और मृत्यु के बारे में बात करते हुए हम आपसे कहें कि इस दुनिया में एक ऐसी जगह भी स्थित है, जहाँ मरा हुआ व्यक्ति भी ज़िंदा हो जाता है। तो शायद आप हमारी बात पर यक़ीन नहीं करेंगे।

शरीर में पुनः कर जाती है आत्मा प्रवेश:

लेकिन आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ अगर किसी मृत व्यक्ति के शरीर को लाया जाए तो उसमें पुनः आत्मा प्रवेश कर जाती है। हम समझ रहे हैं कि आप हमारी इस बात पर आसानी से यक़ीन नहीं कर पाएँगे, लेकिन यह एक सच्चाई है। आपको बता दें हम भगवान शिव के जिस चमत्कारी मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं, वह कहीं और नहीं बल्कि देवभूमि कहे जानें वाले उत्तराखंड में स्थित है। भगवान शिव का यह मंदिर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से कुछ ही दूरी पर स्थित लाखामंडल नामकि स्थान पर स्थित है।

पुजारी के जल छिड़कते ही व्यक्ति हो जाता है ज़िंदा:

भगवान शिव के इस मंदिर को लाखामंडल शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि महाभारत काल में इसी जगह पर पांडवों को जलाकर मारने के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह बनाया था। अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठिर ने इसी जगह पर एक शिवलिंग की स्थापना की थी। यह मंदिर आज भी मौजूद है। इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग को महामुंडेश्वर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के प्रांगण में दो द्वारपाल पश्चिम की तरफ़ मुँह करके खड़े हैं। ऐसा कहा जाता है कि कोई भी मरा हुआ व्यक्ति अगर इन द्वारपालों के सामने रख दिया जाता है। इसके बाद पुजारी उसके ऊपर अभिमंत्रित जल छिड़कता है तो मरा हुआ व्यक्ति जीवित हो जाता है।

शिवालय के दीपक को एकटक निहारने से होती है पुत्र की प्राप्ति:

इस तरह यहाँ किसी भी मृत व्यक्ति को लाया जाता था तो वह कुछ ही समय में ज़िंदा हो जाता था। जीवित होने के बाद व्यक्ति भगवान शिव का नाम लेता और गंगाजल ग्रहण करता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा पुनः शरीर छोड़कर बाहर निकल जाती है। मंदिर की पिछली दिशा में दो द्वारपाल खड़े हैं, जिनमें से एक का हाथ कटा हुआ है। इसका रहस्य आजतक कोई सुलझा नहीं पाया है। मंदिर को लेकर कई मान्यताएँ प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिन महिलाओं को पुत्र प्राप्ति नहीं होती है वो महाशिवरात्रि की रात को मंदिर के मुख्यद्वार पर बैठकर शिवालय के दीपक को एकटक निहारते हुए शिवमंत्र का जाप करती है तो एक साल के अंदर ही उसे पुत्र की प्राप्ति होती है।

भगवान सशिव करते हैं सभी मनोकामनाएँ पूर्ण:

इस शिवलिंग की एक और भी ख़ासियत है। कहा जाता है कि जब भी कोई व्यक्ति इस शिवलिंग का अभिषेक करता है तो शिवलिंग में उसके चेहरे की आकृति साफ़-साफ़ झलकती है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि यहाँ आकर भगवान शिव की आराधना करने वाला कोई भी व्यक्ति ख़ाली हाथ नहीं लौटता है। भगवान शिव अपने सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण कर देते हैं। यहाँ आने के बाद व्यक्ति के समस्त पापों का भी नाश हो जाता है।

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