ठेले वाले ने कूड़े के ढ़ेर से उठा कर पाला था लड़की को, 25 साल बाद लड़की इस तरह चुका रही एहसान
कब किसी इंसान की जिंदगी करवटें लेना शुरू कर दें इस बात का अंदाजा किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में कभी भी नहीं होता। कभी-कभी जिंदगी कूड़े के ढेर पर चलने लगती है तो कभी वही जिंदगी हवा में इस कदर सरपट भागने लगती है कि इंसान को कुछ पता ही नहीं चलता। आज के जमाने में इंसान इंसान की मदद करने के लिए भी आगे नहीं आता। जब कभी किसी इंसान को किसी की जरूरत होती है उस वक्त लोग अपने पांव पीछे खींच लिया करते हैं। परंतु आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने वाले हैं जहां एक ठेले वाले ने कूड़े के ढेर पर पड़ी एक छोटी सी मासूम को अपनाया और बाद में उस लड़की ने कुछ इस तरह उनका एहसान चुकाया। तो चलिए बताते हैं आपको इस घटना के बारे में विस्तार से-
जानकारी के मुताबिक यह घटना असम की है। असम में रहने वाला सोबरन अपना और अपने परिवार का लालन-पालन करने के लिए सब्जी का ठेला चलाया करता था। एक दिन जब सोबरन सब्जी के ठेले को लेकर गलियों से गुजर रहा था उसी दौरान उसे झाड़ियों में एक बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। बच्ची के रोने की आवाज को सुनने के बाद सोबरन ने जब झाड़ियों में झांका तो उसे कूड़े के ढेर पर एक छोटी सी बच्ची पड़ी हुई मिली। उस बच्ची को देखने के बाद सोबरन ने उस बच्ची को अपनी गोद में उठा लिया। जिस वक़्त सोबरन ने उस बच्ची को अपनी गोद में उठाया था उस वक्त उसकी उम्र 30 साल थी और वह शादीशुदा भी नहीं था। शादीशुदा ना होने के बावजूद वह उस बच्ची को पाकर काफी ज्यादा खुश था। बच्ची को अपनाते वक्त सोबरन ने जिंदगी में कभी भी शादी ना करने का फैसला लिया था।
बच्ची को अपनाने के बाद सोबरन ने उस बच्ची को पाल पोस कर बड़ा किया। इसके साथ ही साथ उस बच्ची का नाम उन्होंने ज्योति रख दिया। बच्ची का अच्छी तरीके से पालन पोषण करने के साथ ही सोबरन ने उस बच्ची की पढ़ाई लिखाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। अच्छी पढ़ाई लिखाई मुहैया करवाए जाने की वजह से सोबरन की बेटी ज्योति ने अपने पिता को कभी भी निराश नहीं किया। सोबरन की बच्ची ज्योति ने वर्ष 2013 में कंप्यूटर साइंस से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद ज्योति ने उसी साल असम लोक सेवा आयोग की परीक्षा भी पास की। परीक्षा में कामयाबी हासिल करने के बाद ज्योति को सहायक आयुक्त के पद पर पहली पोस्टिंग मिली।
ज्योति के द्वारा हासिल की गई कामयाबी को देखने के बाद सोबरन का आज ऐसा कहना है कि उसने आज से 25 साल पहले एक हीरे को कूड़े के ढेर से उठाया था। जो कि आज उसके लिए बुढ़ापे की लाठी बन चुकी है। आज ज्योति अपने पिता सोबरन के साथ ही रहती है और उनकी हर एक ख्वाहिश को पूरा भी करती है। अपनी बेटी की कामयाबी को देख कर आज सोबरन काफी ज्यादा खुश नजर आते हैं। इसके साथ-साथ वह खुद को काफी ज्यादा भाग्यशाली भी मानते है।