प्राण निकलने के बाद सबसे पहले इस जगह पर जाती है आत्मा, इसके बाद ही होता है फ़ैसला
इस पृथ्वी पर जिसने भी जन्म लिया है, उसे एक ना एक दिन इस दुनिया से जाना ही है। इस दुनिया में कुछ भी अजर-अमर नहीं है। जो भी आता है, वह कुछ दिन यहाँ रहने के बाद चला जाता है। कोई भी ऐसा नहीं हुआ है जो हमेशा के लिए जीवित रहे। इंसान मरता है तो उसके बाद क्या होता है, इसके बारे में कई तरह-तरह के मत हैं। पुनर्जन्म पर कुछ लोगों का विश्वास है तो कुछ लोगों का मानना है कि सब बकवास है। मरने के बाद आत्मा जैसी कोई चीज़ नहीं होती है।
आपको बता दें कि केवल हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि हर धर्म में पुनर्जन्म की बात की गयी है। ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति मारता है तो वह अपने पिछले जन्म के कर्मों के हिसाब से ही अगले जन्म ग्रहण करता है। जो अच्छे कर्म करता है, उसे दुबारा जन्म नहीं लेना पड़ता है। जबकि अगर कोई बुरे कर्म करता है तो उसे कर्म के हिसाब से इंसान या किसी जीव-जंतु का जन्म मिलता है। लेकिन व्यक्ति की मृत्यु और उसके दूसरे जन्म के बीच में कुछ समय होता है। उस दौरान आत्मा कहाँ रहती है, यह एक बड़ा सवाल है। हालाँकि विज्ञान भी आजतक इसके रहस्य सुलझा नहीं पाया है।
लेकिन कई धर्मग्रंथों में इसको लेकर तरह-तरह की बातें की गयी हैं। हिंदू धर्म में प्रसिद्ध ग्रंथ गरुड़ पुराण में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके अनुसार जब कोई व्यक्ति मारता है तो उसकी आत्मा को परलोक ले जानें के लिए यमदूत आते हैं। जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, उनकी आत्मा जल्दी निकल जाती है, जबकि जो लोग बुरे कर्म करते हैं उन्हें यमदूत ज़बरदस्ती खींचकर ले जाते हैं। यमदूत आत्मा को लेकर सबसे पहले यमराज के पास जाते हैं।
जानकारी के अनुसार यामलोक में आत्मा को 24 घंटे के लिए रखा जाता है। उस दौरान उस व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों को दिखाया जाता है। कर्मों का लेखा-जोखा हो जानें के बाद पुनः आत्मा को 13 दिनों के लिए पृथ्वी पर छोड़ दिया जाता है। अंतिम संस्कार की अन्य विधि पूरी होने के बाद व्यक्ति की आत्मा को पुनः यमदूत लेकर अपने साथ यामलोक जाते हैं। इसके बाद अच्छी आत्माओं को राह में कोई तकलीफ़ नहीं होती है, लेकिन बुरी आत्माओं को भयानक यम नगरी यानी नर्क ले जाया जाता है। यहाँ राह में आत्मा को भयानक यातनाएँ साहनी पड़ती हैं।
लगभग एक साल तक चलने के बाद आत्मा यामलोक तक पहुँचती है। इस एक साल के दौरान आत्मा को भयानक पीड़ा झेलनी पड़ती है। यहाँ पहुँचकर आत्मा का फ़ैसला यमराज उसके कर्मों के आधार पर करते हैं। उसे स्वर्ग-नर्क या किसी अन्य योनि में भेजना है इसका फ़ैसला किया जाता है। इसी जगह पर यह तय किया जाता है कि आत्मा कब दूसरा शरीर धारण करेगी। अच्छे कर्म करने वालों के लिए विमान आता है और उसमें बैठकर वह विष्णुलोक जाती है। विष्णुलोक में जिन लोगों को ठहरने की अनुमति मिल जाती है, उन्हें दुबारा जन्म नहीं लेना पड़ता है, यानी उन्हें मोक्ष मिल जाता है। गरूँ पुराण में यह भी बताया गया है कि शरीर से निकलने के बाद आत्मा अंगूठे की आकार की बन जाती है।