ब्राह्मणों के केवल एक चोटी रखने का क्या है राज़ ? कारण जान कर हैरान रह जायेगे आप !
हम अक्सर देखते है कि ब्राह्मण या आध्यात्मिक किस्म के लोग जो बहुत ज्यादा पूजा पाठ करते है और मंदिरो में जाते है उनके सिर के पीछे एक चोटी सी आती है . पर अब तक इस बारे में बहुत कम लोग जानते है कि आखिर ये एक चोटी रखने की वजह क्या है और क्यूँ इसे इतना महत्व दिया जाता है ? इसका कारण अगर आप भी सुनेगे तो जरूर हैरान रह जायेगे क्योंकि न केवल धार्मिक रूप से बल्कि चिकित्सक रूप से भी इसका अपना ही एक अलग महत्व होता है .
चिकित्सा के क्षेत्र में ..
अगर हम चिकित्सा की दृष्टि तो देखे तो अभी तक ये सिद्ध नहीं हुआ और न ही इसका प्रमाण मिला है कि हमारे मस्तिष्क का एक और हिस्सा भी है, जिसे योग पद्धति में पहचाना गया है और वो हिस्सा है बिंदु . यहाँ बिंदु का मतलब है, सबसे छोटा चिन्ह जो आगे और विभाजित न हो सके यानि बंट न सके . इतना ही नहीं दुनिया भर की कई सभ्यताओं ने भी मस्तिष्क में बिंदु की मौजूदगी को स्वीकार किया है. यदि आप अपने कान के छिद्रों के साथ एक सीधी रेखा बनाएं और वहां से 45 डिग्री की रेखा बनाएं तो वह आपके सिर के पीछे कहीं जाकर खत्म हो जाएगी . उसी जगह को ही बिंदु कहते हैं . इसे समझना थोड़ा मुश्किल जरूर है पर इसका महत्व भी उतना ही ज्यादा है क्योंकि दुनिया भर की कई सभ्यताओं में ये माना जाता है कि इस बिंदु स्थान को हमेशा सुरक्षित रखना चाहिए।
भारत में, हिंदुओं ने उस स्थान पर केशों का एक गुच्छा सा उगा लिया ताकि वह उस जगह को सुरक्षित रख सके और यही वजह है कि आज तक बालों के इस रहस्य के बारे में कोई नहीं जानता होगा क्योंकि ये बात हमारी पुरानी सभ्यातो से जुडी जो किसी को मालूम ही नहीं है . मगर दूसरी सभ्यताओं में जिन लोगों ने अपने बाल कटवाए, उन्होंने सिर के उस स्थान पर छोटी छोटी टोपियां ही पहननी शुरू कर दी या अपने सिर पर किसी तरह का कपड़ा रखने लगे .
भले ही आप दुनिया में कहीं भी चले जाएं, तब भी आप यही देखेंगे कि अगर वे कोई ऐसी क्रिया कर रहे हैं, जिसे आध्यात्मिक माना जाता हैं, तो वे जरूर बिंदु वाले स्थान को ढककर ही वो क्रिया करते है . इसलिए यह कोई कहानी नहीं है बल्कि दुनिया में हर कहीं कोई न कोई इस बारे में जागरूक था और शायद किसी ने इसकी चर्चा भी की थी . इसके बाद भी अगर आपको यकीन नहीं तो आप खुद सोचिये कि जब आप कभी माथे पर टीका लगवाते है तो सिर के पीछे हाथ या सिर पर कपडा या रुमाल रखते है या नहीं ? बस यही बात यहाँ इन शब्दों में समझाई जा रही है .
हिन्दू जीवनशैली के अनुसार..
अब अगर हम चिकित्सा से हट कर कुछ बात करे तो हम देखते है कि हिन्दू धर्म में अक्सर ब्राह्मण अपने सिर के सारे बाल कटवा कर अंत में एक चोटी सी रख लेते है . वैसे ऐसा भी माना जाता है कि जब ब्राह्मण छोटे बालको को दीक्षा देते है या उन्हें संस्कार स्वरूप कुछ बातें सिखाते है तब वो बाल उतरवाने की ये प्रक्रिया करते है . केवल इतना ही नहीं जो ब्राह्मण होते है वो हर बार अपनी साधना से पहले अपनी चोटी को पकड़कर उसे घुमाते, मोड़ते और खींचते भी है और अपनी चोटी को बांधने से पहले उस बिंदु पर पर्याप्त जोर भी डालते है और फिर उस बिंदु से चोटी को पकड़ कर जोर से बांधते है .
इस बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे और अगर हम यू कहे कि इन दिनों तो यह परंपरा बिलकुल खत्म हो चुकी है तो गलत नहीं होगा . पर एक ब्राह्मण के लिए इसका बहुत महत्व होता था . उसे हर रोज़ अपने बाल पकड़ कर खींचने होते थे . वह रोज अपनी साधना से पहले ही उसे खींचकर और कसकर बांधता था . हालांकि शुरू शुरू में इससे पीड़ा जरूर होती है, लेकिन कुछ समय के बाद जैसे जैसे उसकी साधना बेहतर होती गयी वैसे ही उसके भीतर परमानंद और उल्लास की बहुत गहरी भावना पैदा होती रहती क्योंकि मस्तिष्क का यह बिंदु एक बहुत ही छोटी सी जगह में है, जिसके आस पास एक खास स्राव अर्थात रक्त का बहाव होता है . अब क्योंकि यह बहुत छोटा है, तो ये कहा नहीं जा सकता कि हमारे ‘ब्रेन-सर्जन्स’ का ध्यान इस पर कब जाएगा . वैसे अगर उनकी नजर इस पर पड़ भी जाए, तो भी वह इतना छोटा है कि वे उसे अनदेखा भी कर सकते हैं . मगर हो सकता है कि अब ये सब संभव हो सके क्योंकि चिकित्सक पहली बार व्यक्ति दिमाग का बहुत बड़े पैमाने पर अध्ययन कर रहे हैं . तो ये संभव है कि उनकी नजर इस पर पड़ जाए .ये चोटी भले ही एक बिंदु स्वरूप हूँ पर ब्राह्मणों के लिए इसका बहुत महत्व था पर शायद आज कल इतना महत्व न हो .
बिंदु के पक्ष..इसका मतलब है कि इस बिंदु के भी दो भाग होते है . एक भाग में रक्त का स्त्राव होता है और इसके दूसरी तरफ जो जगह होती है, वहां जहरीला स्राव होता है . अगर आप गलत जगह को छूते हैं तो इससे वो जहर शरीर के अंदर फैल सकता है. यहाँ जहर से हमारा मतलब उस जहर से नहीं जिसे कोई पी लेता है बल्कि यह जहर इस तरह का है जिसके आपके शरीर में फैलने से आप बेवजह दुखी होंगे और दयनीय सी स्थिति में आ जायेगे . आप शायद यकीन नहीं करेगे पर बहुत से लोगों का ये हाल हो चुका है. आप इसे एक तरह का डिप्रेशन भी कह सकते हैं . आप बेवजह ही दुखी रहने लगते है क्योंकि आप अपने जीवन के साथ गलत करते है और ये इसलिए क्योंकि आप उस बिंदु का गलत सिरा छू लेते हैं . इसलिए अब तो हमें भी लगता है कि शायद एक टोपी खरीद लेनी चाहिए . आज भी दुनिया में ऐसी बहुत सी सभ्यताएं हैं, जिन्हें इस पहलू की जानकारी थी . शायद तभी उनमे से कुछ टोपी पहनते हैं और कुछ के पास सिर पर पहनने वाला कपड़ा है . जब कि कुछ ने दूसरे तरह के इंतजाम किए हैं . तभी ऐसी सभ्यता रखने वालों में मानसिक असुंतलन का स्तर कम ही पाया जाता है .
इसे पढ़ने के बाद आप समझ ही गए होंगे कि ब्राह्मण किस तरह अपने बिंदु स्थान पर चोटी रख कर अपनी साधना सम्पूर्ण करते थे . हालांकि आज कल ये बहुत कम देखने को मिलता है पर आज भी कुछ ब्राह्मण और कुछ लोग हमारी इस पुरानी सभ्यता को कायम रखे हुए है और यकीन मानिये इनमे केवल वो गिने चुने लोग ही शामिल होंगे जिन्हें या तो इस बारे में जानकारी होगी या जो अपने जीवन को लेकर बेहद संजीदा होंगे . इसलिए हो सके तो आप भी अपने स्वास्थ्य के प्रति कभी लापरवाही न दिखाए और इन बातों को गंभीर रूप से अपने जीवन में जरूर अपनाये .