रिस्क नहीं लेना चाहती हैं मायावती, अखिलेश से मांगी 9 विधायकों की लिस्ट
उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीट को लेकर चुनाव शुक्रवार को होने वाले हैं, ऐसे में यूपी की सियासत अपने चरम पर हैं। यहां 9 सीटों का गणित तो बिल्कुल साफ है, लेकिन एक सीट पर पेंच फस रहा है, जिसको लेकर सत्ता और विपक्ष दांव पेंच अपनाती हुई नजर आ रही है। जी हां, यूपी की 10 राज्यसभा सीटोंं पर 23 मार्च को चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में अब बारी अखिलेश को अपनी दोस्ती निभाने की है। आइय़े जानते है कि हमारे इस रिपोर्ट में क्या खास है?
उपचुनाव में सपा का समर्थन करने के बाद अब मायावती अखिलेश ये रिटर्न गिफ्ट चाहती है, जिसको लेकर वो किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। यही वजह है कि मायावती ने चुनाव से ठीक एक दिन पहले अखिलेश से 9 विधायकों की सूची मांगी, जो उनकी पार्टी को समर्थन करेंगे। बताते चलें कि बसपा का एक मात्र उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए विपक्ष को एकजुट किया जा रहा है, ताकि अखिलेश अपना कर्ज चुका पाएं।
बसपा प्रमुख मायावती किसी भी तरह का कोई रिस्क लेना नहीं चाहती, ऐसे में उन्होंने अखिलेश से विधायकों की मांग की तो अखिलेश ने फौरन ही 9 विधायकों की सूची मायावती को सौंप दी। इससे यहां एक बात तो साफ है कि अखिलेश और मायवती की दोस्त लंबे अर्से तक चलने वाली है, क्योंकि अखिलेश और मायावती दोनों ही इस दोस्ती को लेकर किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। जानकारों की माने तो ये दोस्ती आगामी लोकसभा चुनाव तक चल सकती है, जिससे यूपी से बीजेपी की ताकत कम करने की कोशिश होगी।
क्रास वोटिंग से डरी मायावती
चुनाव में क्रास वोटिंग की संभावनाएं ज्यादा है, ऐसे में सपा बस किसी भी हालत में ये नहीं चाहती है कि क्रास वोटिंग हो, जिससे उन्हें कोई नुकसान हो। ऐसे में मायावती ने इसी डर से अखिलेश नौ विधायक तो मांग लिये, लेकिन अभी मायावती को क्रास वोटिंग का डर है। हालांकि, क्रास वोटिंग के लिए सपा को भी डर है, क्योंकि सपा के विधायक भी आजकल बागी होते हुए नजर आ रहे हैं, ऐसे में सपा अध्यक्ष किसी भी हाल में नहीं चाहेंगे कि जो हाल अभी बहुजन समाजवादी पार्टी की है, वहीं उनकी भी हो, ऐसे में उन्होंने अपना भी सियासी गणित समझना होगा।
आपको बता दें कि अखिलेश के पास 46 विधायक रह गये हैं, जिसमें 37 उन्हेंं जया बच्चन को जीताने के लिए चाहिए और बाकि बचे वोटों को उन्होंने बसपा को दे दिया है ताकि वो बसपा का एक उम्मीदवार राज्यसभा पहुंच जाए, ऐसे में दोनों ही पार्टियों का एक एक सदस्य राज्यसभा में होगा, लेकिन इस पर भी बीजेपी की नजरे टिकी हुई है।