चार बार विधायक रहे लेकिन आजतक नहीं बदलवा पाए घर की टीन, इनके इमानदारी की लोग खाते हैं कसमें
रघुराज सिंह तोमर: आज के समय में पॉलिटिक्स एक व्यापार बन गया है। पहले लोग पॉलिटिक्स सेवा करने की भावना से करते थे लेकिन आज लोग पॉलिटिक्स यही सोचकर ज्वाइन करते हैं कि खूब माल कमाया जायेगा। हालाँकि आज भी कुछ ऐसे लोग हमारे बीच हैं जो सच में देश सेवा की भावना से राजनीति करते हैं। आपको बता दें किसी भी विधानसभा से लगातार चार बार विधायक रहना कोई आसान काम नहीं है, वो भी पूरी इमानदारी के साथ। हर पार्टी अपने ऐसे नेता को अपनी आँखों पर बिठाकर रखना चाहेगी।
ईमानदारी के बारे में जानकर हो जायेंगे हैरान:
लेकिन ऐसा असल जीवन में नहीं होता है। खंडवा से लगातार चार बार विधायक रहने के बाद भी रघुराज सिंह तोमर को टिकट नहीं दिया गया। उन्होंने 2003 के बाद से कोई चुनाव नहीं लड़ा और आम लोगों की तरह ही जीवन गुजार रहे हैं। अक्सर नेताओं को आपने देखा होगा कि नेता बनते ही उन्ल्के शौक भी बदल जाते हैं। बड़ी-बड़ी गाड़ी और बंगले बन जाते हैं। लेकिन कुछ लोग अपनी ईमानदारी की वजह से भी जाने जाते हैं लेकिन वो इसी वजह से पीछे रह जाते हैं। राणा रघुराज सिंह तोमर भी उन्ही में से एक हैं। ईमानदारी के बारे में जानकर आप हैरान हो जायेंगे।
विधायक रहने के बाद आज रह रहे हैं बुरे हालत में:
लगातार चार साल तक विधायक रहने के बाद जब इन्होने 2003 में फिर से विधायक पद के लिए टिकट की मांग की तो उसके एवज में इनसे 14 लाख रूपये की मांग की गयी। ईमानदार तोमर ने इससे इनकार कर दिया और वही हुआ जो असल जीवन में होता है। इन्हें टिकट नहीं दिया गया। आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी कि इतने साल विधायक रहने के बाद भी ये अपने घर के पुराने टीनों को नहीं बदलवा पाए। इनका घर इस समय बुरे हालत में है। घर के सामने इनकी एक लोन लेकर खरीदी हुई बंद पड़ी जीप भी है।
विधायक रहते ही बैठे थे अपनी सरकार के खिलाफ अनसन पर:
आपकी जानकारी के लिए बता दें निमाड़खेड़ी विधानसभा से 1977-80, 1980-85, 1990-92 और 1993-97 तक राणा रघुराज सिंह तोमर विधायक रहे थे। आज इनकी हालत यह हो गयी है कि पुनासा ब्लॉक मुख्यालय से 10 किमी दूर रिछ्फल गाँव में खस्ताहाल में अपनी जिंदगी जीने के लिए मजबूर हो गए हैं। इन्हें पेंशन के तौर पर 35 हजार रूपये मिलते हैं। इन पैसों से वो खुद का इलाज और अपने पोते-पोती की पढ़ाई का खर्च उठाते हैं। उनके बेटे नारायण सिंह उनके साथ ही रहते हैं। विधायक रहने के बाद भी वो आमलोगों के हितों के लिए अपनी सरकार के खिलाफ अनसन पर बैठे थे।
रिश्वत देने आये अधिकारीयों को भगा दिया था डांटकर:
उन्होंने अपने बारे में बताया कि 1971 में उन्हें जेल में भी बंद कर दिया गया था। 1975 में मिसा बंदी भी रह चुके हैं। जब विधायक थे तब टिकट लेकर बसों में सफ़र करते थे। हालाँकि तोमर के पास पुरखों की 140 एकड़ जमीन है उसी से परिवार का गुजर-बसर होता है। विधायक रहते हुए उन्होंने एक इंच भी जमीन नहीं खरीदी। तोमर ने बताया कि जब मैं विधायक तह उस दौरान एनवीडीए के 18 क्वाटर गिर चुके थे। जब मैंने यह मामला विधानसभा में उठाया तो कुछ अधिकारी मुझे 5 लाख की रिश्वत देने के लिए आये थे। मैंने उन्हें डांट कर भगा दिया था।
रिश्वत के तौर पर आजतक किसी से नहीं पी एक चाय भी:
उन्होंने आगे बताया, केवल यही नहीं यूरिया खाद में मुरुम मिलाकर बेचने का मामला भी मैंने विधानसभा में उठाया था। इसके बाद कारखाना मालिक मुझे 15 लाख देने आया था, मैंने उसे भी भगा दिया था। आजतक मैंने रिश्वत के तौर पर किसी से चाय तक नहीं पी है। इनकी इसी ईमानदारी की वजह से लोग आज कसमें खाते हैं।