अध्यात्म

ये पत्थर नहीं बल्कि स्वंय विष्णु भगवान है, आज भी भुगत रहे हैं इस देवी के श्राप की सजा

पत्थर में विष्णु भगवान: नारी तू नारायणी है, ये सिर्फ ऐसे ही नहीं कहा जाता है, बल्कि इसके कई सबूत सदियों से मौजूद है। नारी का अपमान या उन्हें परेशान करने पर इंसान क्या भगवान भी खुद को नहीं बचा पाएं। जी हां, नारी का अपमान करने वालों को सजा जरूर मिलती है। प्राचीन काल में इसे में श्राप कहा जाता था, और अब इसे सजा का नाम दे दिया गया है। बता दें कि नारी हमेशा से ही मजबूत रही है, उसने जिसकी भी तरफ आंख उठाकर देगा, उसका तो बुराकाल समझो आने वाला ही है।

यूं तो आपने न जाने कितनी पौराणिक कहानी सुनी होंगी, जिसमें श्राप का जिक्र किया गया होगा। तो ऐसी एक कहानी हम भी आपके लिए लाएं हैं, जिसमें ये है कि आखिर क्यों सिर्फ एक श्राप की वजह से भगवान विष्णु को पत्थर बनकर रहना पड़ रहा है। पत्थर में विष्णु भगवान, आखिर भगवान ने ऐसा क्या किया तो जिसकी सजा वो आजतक भुगत रहे हैं?

पत्थर में विष्णु भगवान :

दरअसल, कहानी भारत के पड़ोसी देश यानि नेपाल की है। नेपाल में एक ऐसी नदी है, जहां विष्णु भगवान आज भी पत्थर के बने हुए है। इस नदी का नाम गंडकी है। शिवपुराण के अनुसार दैत्यों की पत्नी तुलसी, जोकि बहुत ही ज्यादा पवित्र थी, इसीलिए देवगण उनके पति को हरा नहीं पाते थे, जिसकी वजह से भगवान विष्णु ने धोखे से उनकी पवित्रता को छलनी कर दिया था, जिसकी वजह से तुलसी ने विष्णु को श्राप दे दिया था।

आपको बताते दें कि तुलसी ने भगवान विष्णु को ये श्राप इसीलिए दिया था क्योंकि उनकी वजह से उनके पति की मौत होने के साथ भगवान ने उनकी पवित्रता को भंग किया था, जिसके बाद तुलसी ने उन्हें पत्थर बनने का श्राप दिया था, इस पर भगवान ने कहा था  कि गंडकी नदी में तुलसी का पौधा, जिसके पास पत्थर बने हुए विष्णु होंगे। इसके बाद से ही तुलसी की पूजा होने लगी, इतना ही नहीं घर में भी तुलसी के पौधे के साथ पत्थर जरूर रखा जाता है।

गंडकी नदी में कई काले पत्थर पाएं जाते है, जिसमें गदा, शंख, चक्र आदि के निशान भी पाएं जाते हैं, ऐसे में ग्रंथों की माने तो उन पत्थरों को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। बता दें कि इन पत्थरों को शालिग्राम शिला भी कहते हैं। पुराणों की माने तो इस नदी में खुद आकर वास करने के साथ ही सभी कीड़ो से कहा था कि वो दांतो से काटकर पोषाण में उनके चक्र यानि चिन्ह बनाएंगे, जिसका उनके स्वरूप में पूजा होगी।

जानिये, क्यों एकादशी के दिन तुलसी का विवाह होता है?

दरअसल, ग्रंथो में उल्लेखित है कि तुलसी ने विष्णु से शादी करने के लिए उनकी तपस्या सालों साल की थी, उस दौरान विष्णु काफी धर्म संकट में पड़ गये थे, क्योंकि वो अपने भक्त को निराश नहीं कर सकते थे तो दूसरी तरफ लक्ष्मी को छोड़कर विवाह भी नहीं कर सकते थे, ऐसे हालात में विष्णु ने तुलसी को वरदान दिया था कि देवप्रबोधिनी एकादशी को शालीग्राम पत्थर और तुलसी का विवाह होगा, तब से लेकर अब तक ये परंपरा निभाई जा रही है।

Back to top button
https://ndi.fda.moph.go.th/
https://bemfh.ulm.ac.id/id/ https://newstrend.news/swen/ https://rentohotels.com/ https://whlconsultants.com/ galaxy77bet
slot gacor slot demo
https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/200/ https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/scatter-hitam/
https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/thailand/ https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/dana/
https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/oneplay77gala/ https://heylink.me/turbobet77login/ https://heylink.me/mustang77pro/ https://heylink.me/galaxy77betpro/ https://heylink.me/marvel77game/ https://heylink.me/taipan77login/ https://heylink.me/republik77alter/ https://heylink.me/binjaiplay77-login/ https://heylink.me/dutaslot77-loginn/ https://heylink.me/doremiplay77-login/ https://heylink.me/slotnesia77-loginn/ https://heylink.me/mandala77_login/ https://heylink.me/arenaslot77_login/ https://heylink.me/arenabet77-login/ https://heylink.me/Sultanbet77.daftar/ https://heylink.me/sultanplay77.login/ https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/kotacuanplay/ https://heylink.me/play77betpro/ https://heylink.me/tokofun/ https://heylink.me/fun77betpro/ https://heylink.me/captain77warrior/ https://heylink.me/Jaguar77pro/ https://heylink.me/thebestmustang77/ https://heylink.me/tokoholyplay/ https://heylink.me/rukocuan/ https://heylink.me/indopedia77pro/ https://heylink.me/tokoindofun17/ https://heylink.me/sultanbet77gaming/ https://heylink.me/sultanplay77gaming/ https://heylink.me/oneplay77alternatif/ https://heylink.me/marina77maxwin/ https://heylink.me/play77alternatif/ https://heylink.me/cukongplay77gaming/ https://heylink.me/playwin77-/ https://lynk.id/play77new https://lynk.id/fun77new https://lynk.id/captain77 https://lynk.id/jaguar77new https://lynk.id/mustang77new https://lynk.id/indopedia77new misteritogel galaxy77bet galaxy77bet https://104.219.251.144/ https://www.incolur.cl/ galaxy77bet galaxy77bet https://galaxy77bet-jaya.com/ https://138.68.164.8/ https://137.184.36.152/ https://139.59.119.229/
https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/thai/ https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/xgacor/ https://www.mscba.org/hitam/ https://www.priboi.news/wp-includes/thailand/ https://www.tecnocontrol.cl/ https://www.quiporte.it/ https://www.mariscosgontelo.com/ https://presensi.upstegal.ac.id/ https://perpus.stik-sintcarolus.ac.id/ http://rengo921.lionfree.net/ https://www.desmaakvanitalie.nl/thailand/ https://b-happyrealisatie.com/ https://b-smartfundering.com/ http://context2.ai/ slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor https://www.mmsu.edu.ph/storage/uploads/xgacor/ https://alumni.mmsu.edu.ph/storage/uploads/hitam/ https://sas.mmsu.edu.ph/storage/uploads/thailand/ https://ieg.mmsu.edu.ph/storage/uploads/pulsa/
slot gacor slot thailand slot thailand slot gacor maxwin scatter hitam slot gacor slot demo slot demo https://officialstore.it.com/