इस चमत्कारी मंदिर में हनुमान जी का एक पैर धंसा हुआ है जमीन के अन्दर, रहस्य कर देगा आपको हैरान
आज के समय में हिन्दू धर्म में हनुमान जी के सबसे ज्यादा भक्त हैं। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक ऐसी जगह हैं, जहाँ यह माना जाता है कि इसी जगह पर हनुमान जी ने राक्षस कालनेमि का वध किया था। आज के समय में यह जगह एक शक्तिपीठ के रूप में मशहूर हो चुकी है। इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहाँ पर जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह पूरी हो जाती है। आज भी वो तालाब यहाँ पर स्थित है, जहाँ पर हनुमान जी ने कालनेमि का वध करने से पहले स्नान किया था।
हनुमान जी ने यही किया था कालनेमि का वध:
हनुमान जी के दर्शन के लिए यहाँ पर दूर-दूर से लोग आते हैं। आपको बता दें यह मंदिर सुल्तानपुर जिले के कादीपुर तहसील में विजेथुआ में स्थित है। महावीरन नाम से प्रसिद्द यह मंदिर रामभक्ति और वीरता का प्रतिक माना जाता है। पुराणों के अनुसार इसी जगह पर हनुमान जी ने कालनेमि का वध किया था। मंदिर में स्थित हनुमान जी की मूर्ति इसका प्राचीनतम प्रमाण है। आपको बता दें मूर्ति का एक पैर जमीन के अन्दर धंसा हुआ है, जिस वजह से मूर्ति थोड़ी तिरछी है।
100 फीट खुदाई के बाद भी नहीं निकला हनुमान जी का पैर:
पुरातत्व विभाग ने मूर्ति की प्राचीनता जांचने और पुजारियों ने मूर्ति को सीधा करने के लिए उसकी खुदाई शुरू करवाई। आश्चर्य की बात यह है कि 100 फीट से ज्यादा खुदाई के बाद भी धंसे हुए पैर का सिरा नहीं मिल पाया। इस घटना के बाद से ही इस मंदिर को चमत्कारी माना जाने लगा है। रामायण में इस जगह का जिक्र है कि युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण बाण लगने से मूर्छित हो गए थे तब वैद्यराज के कहने पर हनुमान जी हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिए चल पड़े थे। हनुमान जी को संजीवनी बूटी ना मिल पाए इसलिए रावण ने अपनी एक मायावी राक्षस को भेजा।
कालनेमि ने हनुमान जी से आश्रम में रुकने का किया आग्रह:
यही कालनेमि थी। कालनेमि को रावण ने इसलिए भेजा था कि वह रास्ते में ही हनुमान जी का वध कर दे। हालाँकि कालनेमि मायावी था इसलिए उसनें एक साधू का रूप धारण करके राम-राम का जाप शुरू कर दिया। थके हारे हनुमान जी राम-नाम का जप सुनकर वही आराम करने के लिए रुक गए। कालनेमि ने हनुमान जी से उसे अपने आश्रम में रुकने का आग्रह किया। हनुमान जी उसकी बातों में फंस गए और आराम करने के लिए उसके आश्रम में चले गए। कालनेमि ने कहा कि पहले स्नान कर लीजिये, उसके बाद भोजन की व्यवस्था करते हैं।
हनुमान जी ने कुण्ड में ही मार दिया कालनेमि को:
हनुमान जी स्नान करने के लिए तालाब में गए, जहाँ मगरमच्छ बनकर कालनेमि उन्हें खाने के लिए पहुँच गया। हनुमान जी और कालनेमि के बीच युद्ध हुआ और हनुमान जी ने कालनेमि का वध इसी कुण्ड में कर दिया। इसके बाद हनुमान जी यहाँ से सीधे संजीवनी बूटी लेने के लिए निकल गए। जिस तालाब में हनुमान जी ने उस समय स्नान किया था, वह तालाब आज भी स्थित है। आज इस तालाब को मकरी कुण्ड के नाम से जाना जाता है। लोग मंदिर में हनुमान जी का दर्शन करने से पहले इसी कुण्ड में स्नान करते हैं। लोगों का मानना है कि इस कुण्ड में स्नान करने से लोगों का पाप कम हो जाता है।