अध्यात्म

महिलाएं सिंदूर लगाते समय ना करें ये गलतियां, हो सकता है अनिष्ठ

हिन्दू धर्म में सिंदूर का एक विवाहिता स्त्री के लिए क्या महत्व है ये तो सभी जानते हैं… माथे में सजा सिंदूर सिर्फ सुहाग की निशानी नहीं होती है बल्कि विवाहिता स्त्री का सुख-सौभाग्य इससे जुड़ा होता है.. उसके पति की लम्बी उम्र और खुशियों का ये प्रतीक होता है। ऐसे में हिंदू धर्म में विवाहित होते हुए भी सिंदूर ना लगाना बहुत अशुभ माना जाता है।दरअसल आजकल आधुनिकता के फेर में कई स्त्रियां सिंदूर नहीं लगाती और अगर वो सिंदूर लगाती भी हैं तो वो भी छुपाकर जबकि ऐसे सिंदूर लगाना बिलकुल ही गलत माना जाता है .. आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं कैसे गलत विधि से लगाया गया सिंदूर अनिष्ट फल दे सकता है।

दरअसल शास्त्रों में सिंदूर लगाने के महत्व के साथ उसे लगाने की सही विधि भी बताई गई है जिसके अनुसार अगर कोई विवाहिता स्त्री अपने मांग के बीचो-बीच में सिंदूर लगाता ही तो फिर उसके पति की कभी अकाल मृत्यु नहीं हो सकती है। साथ ही इस तरह से सिंदूर लगाने से पति की संसारिक संकट और भय से रक्षा होती है।

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार जो विवाहित महिला सिंदूर को बालों के निचे छिपा कर लगाती है, तो उसके पति की समाजिक पहचान भी छिप जाती है.. समाज और रिश्ते-नातों के लोग उसे दरकिनार कर देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि सिंदूर मांग के बीचो बिच ऐसे लगाना चाहिए कि वो सभी को आसानी से दिख सकें। इससे पति के सम्मान में वृद्धी होती है।

वहीं कुछ महिलाएं अपने बीच मांग में सिंदूर लगाने की बजाय सिर के एक किनारे की तरफ सिंदूर लगाती है, जबकि प्राचीन मान्यता के अनुसार जो स्त्री इस तरह से सिंदूर लगाती है उसका पति भी उससे किनारा कर लेता है। ऐसे में पति-पत्नी में दूरियां आती है और उनके आपसी रिश्तों में मतभेद की स्थिति बनी रहती है।

इसके साथ ही ये मान्यता तो काफी प्रचलित हैं अगर महिला अपनी मांग के बीच में लम्बा सा सिंदूर लगाती है तो उसके पति की आयु भी उस सिंदूर की रेखा जैसे लंबी होती है।असल में इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है वो ये कि सुग्रीव ने प्रभु श्रीराम के सहयोग बालि के वध की योजना बनाई और इस योजना के अनुसार सुग्रीव को बालि से युद्ध करना था और उसी दौरान श्रीराम को बालि का वध करना था.. ऐस में जब पहली बार सुग्रीव और बालि के बीच युद्ध हुआ तो सुग्रीव ने बालि से उस लड़ाई में काफी मार खाई .. ऐसे में जैसे तैसे सुग्रीव अपनी जान बचाते हुए प्रभु श्रीराम के पास पहुंचा और ये पुछा कि आपने बालि को क्यों नहीं मारा।

ऐसा माना जाता है सुग्रीव के इस सवाल के जबाव में प्रभु श्रीराम ने कहा कि आपकी और बालि की चेहरा एक जैसा है, ऐसे मैं भ्रमित हो गया और वार नहीं कर लेकिन वास्तव यह पूरी सच्चाई नहीं है क्योंकि प्रभु राम किसी को पहचान ना पाएं, ऐसा हो ही नहीं सकता.. उनकी दिव्य दृष्टि से कोई नहीं छिप सकता। असल में वास्तविकता ये थी कि जब श्रीराम बालि को मारने ही वाले थे तो तभी उनकी नजर थोड़ी दूर खड़ी बालि की पत्नी तारा की मांग पर पड़ गई, जो कि उस समय सिंदूर से पूरी भरी हुई थी। ऐसे में उन्होंने तारा के मांग के भरे उस सिंदूर का सम्मान करते हुए उस वक्त बालि को नहीं मारा।

लेकिन इसेक बाद जब अगली बार सुग्रीव और बालि का युद्ध हुआ तो उस वक्त उन्होने पाया कि बालि की पत्नी तारा स्नान कर रही है, ऐसे में उसके माथे में सिंदूर नहीं था तो प्रभु श्री राम ने मौका पाते ही बालि का वध कर दिया। ऐसे में इसी कहानी के आधार पर ये मान्यता प्रचलित हुई कि जो विवाहित स्त्री अपनी मांग में स्पष्ट और लम्बा सिंदूर भरती है, उसके पति की आयु भी बहुत लंबी होती है।

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