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पत्नी के सताएं मर्दों को सहारा देता है ये आश्रम, इस अनोखे आश्रम के बारे में जरुर जानें

नई दिल्ली – देश में पत्नी के सताएं मर्दों को सहारा देने का कार्य करने वाला आश्रम इन दिनों सुर्खियों में है। सुनने में भले ही आपको अजीब लगे, लेकिन यह बिल्कुल सच है। ताज्जुब की बात ये है कि यह किसी विदेश में नहीं बल्कि अपने ही देश में है। औरंगाबाद में स्थित पत्नी के सताएं मर्दों को सहारा देने का कार्य करने वाला यह आश्रम पत्नी से पीड़ित पतियों को सहायता देने का कार्य करता है। इस संघ का कार्य पत्नी द्वारा सताये हुए मर्दों को आश्रय देकर उन्हें संभालना है। हैरानी वाली बात ये है कि इस संघ का नाम पत्नी उत्पीड़न संघ रखा गया है।

इस संघ के बारे में बताते हुए नेत्र ज्योति संस्था के संस्थापक एवं समाजसेवी दीपक गोयल ने कहा कि हमारे पास ऐसे कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें कानून का भय दिखाकर उनकी पत्नियां पुरूषों को प्रताड़ित करती थी। उनका कहना है कि हमारे देश में ऐसे कानून कम है जो इस तरह के पुरुषों को बचाते हैं। अक्सर देखा जाता है कि ऐसे मामले में पुरुष से ज्यादा महिलाओं की शिकायत को ज्यादा तबज्जू दिया जाता है। इसके अलावा यह संघ पति-पत्नी के आपसी झगड़ों का भी निपटारा करता है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि पुरुषों पर महिलाओं के अत्याचार के मामलों की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीआरबी यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने आकड़ा दिया था कि साल 2014 में पति के अत्याचार की शिकार पत्नियों के 1 लाख 22 हजार 877 मामले सामने आए। हालांकि, इस तरह के आपराधिक आंकड़े इकट्ठा करने वाली इस संस्था के पास पतियों पर पत्नियों के अत्याचार के आकंडे मौजूद नहीं है। ये बात साबित करती है कि इस तरह के मामलों को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता है।

लेकिन, इस तरह की संस्था बनने से हो सकता है कि इसमें कुछ बदलाव आये। आपको बता दें कि इस आश्रम में लगे बोर्ड की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। यह आश्रम महाराष्ट्र  के औरंगाबाद में स्थित है। इस आश्रम में केवल ऐसे लोग हैं जो अपनी पत्नियों के सताए हुए हैं। यहां ऐसे पुरुषो की संख्या ज्यादा है जिनसे उनकी पत्नियां खाना बनाने से लेकर कपड़े धोने तक के सारे काम करती हैं। इस आश्रम में कुल 9 और संगठन दल में 450 से ज्यादा सदस्य हैं। आश्रम में रहने वाले सभी लोग जीवन चलाने के लिए छोटा-मोटा काम करते हैं और उन्हें सिखाया भी जाता है। इस आश्रम की शुरुआत पिछले वर्ष 9 नवंबर को की गई थी।

ऐसा नहीं है कि इस आश्रम में हर किसी को जगह मिल जाती है। इस आश्रम में रहने के लिए कुछ नियम भी बनाएं गये हैं। पहला नियम है कि पत्नी की ओर पति पर से कम से कम 20 केस दर्ज किये होने चाहिए। दूसरा नियम गुजारा भत्ता न चुकाने से जेल में जाकर आया हुआ पति यहां रह सकता है। ऐसा पति जिसकी नौकरी पत्नी द्वारा केस किये जाने के बाद चली वह भी यहां रह सकता है। लेकिन, कोई ऐसा व्यक्ति जो दूसरी शादी करना चाहता हो इस आश्रम में नहीं रह सकता है। अपना जीवन चलाने के लिए आश्रम में काम करना जरुरी है। इस आश्रम की मौजूदगी साबित करती है देश में ऐसे अनेक पुरुष हैं जो आये दिन अपनी पत्तनियों के अत्याचार झेल रहे हैं।

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