अध्यात्म

ये तथ्य साबित करेंगे कि रामायण की घटना कोई काल्पनिक नहीं, बल्कि एक सच्ची घटना है!

अक्सर रामायण के पात्रों और उसकी घटना पर लोग ऊँगली उठाते रहते हैं। रामायण की घटना से हिन्दुओं की आस्था जुडी हुई है और लोग इसे पवित्र घटना के रूप में याद करते हैं। ऐसे में समय- समय पर इसकी सत्यता पर उठती हुई ऊँगली उनके ह्रदय हो ठेस पहुचती है। हिन्दू धर्म में राम को पूजा जाता है और उन्हें एक आदर्श पुरुष के उदाहर के रूप में माना जाता है। लोग अक्सर ये सवाल उठाते हैं कि क्या राम सच में पैदा हुए थे? क्या रावण नाम का कोई राक्षस था या हनुमान जैसा कोई था? उनमे से किसी को इस समय लाया नहीं जा सकता क्योंकि यह घटना बहुत प्राचीन थी लेकिन उनके होने के कुछ ठोस सबूत जरुर सामने लाये जा सकते हैं।

भारत और श्रीलंका में कुछ ऐसी जगहें हैं जो रामायण की घटना की गवाही देते हैं (Ramayan True Story)और उनके होने के विश्वास को और मजबूत करते हैं।

पंचवटी (Ramayan True Story -1) :

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भगवान राम अपने वनवास के समय यहाँ पर गए थे, इसी जगह पर लक्षमण ने सूपर्णखा की नाक काटी थी। यह जगह आज नाशिक में पड़ती है।

 

श्रीलंका की कोबरा हुड गुफा:

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इस गुफा के बारे में यह कहा जाता है कि रावण ने जब माता सीता का अपहरण किया, और लंका पहुँचा तो इसी जगह पर सबसे पहले रुका और सीता को यही रखा हुआ था। इस गुफा में उस समय के कुछ चित्र आज भी बने हुए हैं जो यह साबित करते हैं।

जनकपुर का जानकी मन्दिर:

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सीता माता का जन्म राजा जनक के यहाँ हुआ था, इसलिए उनका नाम जानकी पड़ गया। उनके पिता के नाम से ही नेपाल में जिस जगह सीता माता का जन्म हुआ था आज उसे जनकपुर के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर सीता माता का एक मन्दिर है जिसे जानकी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

 

हनुमान गढ़ी की उपस्थिति:

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हनुमान गढ़ी के बारे में कहा जाता है कि हनुमान जी जब भगवान राम का इंतज़ार कर रहे थे तो वह इसी जगह पर बैठे हुए थे। रामायण में इस जगह के बारे में विस्तार से लिखा हुआ है। वर्तमान समय में अयोध्या के पास पड़ने वाली इस जगह पर हनुमान जी का एक मंदिर भी है।

रामलिंगम का मंदिर:

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रावण को मरने के बाद भगवान राम को बहुत पछतावा हुआ कि उनके हाथों से एक ब्राम्हण का वध हो गया है। इसके बाद उन्होंने ने शिव की आराधना की, भगवान शिव ने उन्हें चार शिवलिंग बनाने के लिए कहा। हनुमान जी दो शिवलिंग कैलाश पर्वत से ले आये, माता सीता ने एक शिवलिंग रेट से बनाया और भगवान राम ने एक शिवलिंग बना के इस जगह पर स्थापित कर दिया था। आज इसी जगह को रामलिंगम के नाम से जाना जाता है।

 

हनुमान जी के पैरों के निशान:

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हनुमान जी ने सीता माता को खोजने के लिए बृहद रूप लिया था। जब वह समुद्र पार कर के लंका में पहुँचे तो उनके पैर जमीन पर पड़ते ही वहाँ पर पैरों के निशान पड़ गए, जो आज भी श्रीलंका में मौजूद हैं।

राम द्वारा बनाया गया पुल:

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राम जब भारत से लंका जाने लगे तो बीच में समुद्र था उसे पार करने के लिए उन्होंने एक पुल बनाया था। यह पुल तैरते हुए पत्थरों से बनाया गया था, जो आज भी मौजूद है। कुछ साल पहले इस पुल को तोड़ने की बात चल रही थी, लेकिन उसे तोड़ने नहीं दिया गया।

 

पुरातत्व विभाग ने भी स्वीकार किया:

 

पुरातत्व विभाग भी यह बात मानता है कि भगवान राम थे, पुरातत्व विभाग ने यह भी बताया कि श्रीलंका में 1750000 साल पहले भी इंसानों के घर थे। राम द्वारा बनाया गया पुल भी उसी समय का है।

रावण का महल और कोंडा कट्टू गाला:

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श्रीलंका में पुरातत्व विभाग को एक महल मिला है जिसे वे रामायण के समय का कह रहे हैं, उनका अनुमान है कि यह महल किसी और का नहीं बल्कि रावण का ही है। महल से कई सरे गुप्त रस्ते निकलकर शहर के पास जाते हैं, ये सभी रस्ते इंसानों द्वारा बनाये गए हैं। इसी महल से एक रास्ता कोंडा कट्टू गाला में बनी गुफाओं तक जाता हैं जहाँ रावण ने सीता माता को हनुमान जी के लंका दहन के बाद रखा था।

लंका दहन के अवशेष:

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हनुमान जी के लंका जलने से उस जगह की सारी मिट्टी कलि पड़ गयी थी जो आज भी उस इलाके के पास मिलती है, जहाँ रावण का महल मिला है।

 

लोपक्षी का मन्दिर:

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रावण जब माता सीता का अपहरण कर के लंका ले जा रहा था तब रावण का रास्ता जटायु ने रोका था। रावण से जटायु ने लड़ाई की परन्तु वह मारे गए थे, उनका मृत शरीर इसी जगह पर गिरा था। आज इस जगा पर एक मंदिर है जिसे लोपक्षी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

पानी में तैरने वाले पत्थर:

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राम ने जिस पुल को लंका जाने के लिए बनाया था वह तैरते हुए पत्थरों से बनाया गया था। कुछ साल पहले सुनामी आयी हुई थी उस समय कुछ पत्थर निकल कर बाहर आ गए थे। वैज्ञानिकों ने उस पत्थर को दुबारा पानी में फेका तो वो तैर रहे थे।

 

द्रोणागिरी पर्वत और श्रीलंका में हिमालय की जड़ी बूटियाँ:

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लंका में युद्ध के समय जब लक्षमण मुर्छित हो गए थे तो उनके इलाज के लिए हनुमान हिमालय से द्रोणागिरी पर्वत लाये थे। उसमे से संजीवनी निकलकर लक्षमण का इलाज किया गया था जिससे वो ठीक हो गए थे। इलाज के बाद हनुमान जी ने उस पहाड़ को वही ले जा कर रख दिया जहाँ से लाये थे। आज भी उस पर्वत पर निशान मौजूद हैं। आज भी श्रीलंका के कुछ स्थानों पर ऐसी जड़ी- बूटियाँ पाई जाती हैं जो केवल हिमालय में होती हैं।

अशोक वाटिका:

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रावण ने जब सीता का अपहरण किया और उन्हें अपने महल में ले गया तो सीता ने वह तःने से मन कर दिया था। हर कर माता सीता को रावण ने अशोक वाटिका में रखा था। श्रीलंका में आज वो जगह ‘हकगाला बोटैनिकल गार्डन’ के नाम से मशहूर है। जिस जगह पर सीता माता को रखा गया था उसे ‘सीता एल्या’ कहा जाता है।

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