शिवरात्रि के दिन आप करते हैं ये काम, तो जीवन भर दुर्भाग्य पीछा नहीं छोढ़ता है, संभल जाएँ अभी
वैसे तो भगवान शिव के भक्तों के लिए हर दिन ही उनकी पूजा-अराधना का होता पर शिवरात्रि का दिन विशेष फलदायी माना जाता है .. मान्यता है इस दिन विधिविधान से पूजा करने पर भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। जबकि जाने अंजाने में लोग अक्सर ऐसा कुछ कर बैठते जिससे उनकी पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता है ऐसे में इस दौरान कुछ खास सावधानियां बरतनी आवश्यक है। आज हम आपको इसी विषय में बता रहे हैं..
भगवान शिव तो भोले बाबा कहे जाते हैं और सच्चे हृदय से उनकी कोई भी पूजा आराधना करे उसे वो जरूर स्वीकार्य करते हैं। ऐसे में लोग शिवरात्रि के विशेष दिन भोले बाबा को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाने की आकांक्षा रखते हैं और वो सब कुछ करते हैं और जो कि भगवान शिव को विशेष प्रिय होते हैं पर कई बार उन चीजों का ध्यान नहीं रखते जो कि भगवान शिव को प्रिय नहीं होते हैं। ऐसे में आप भी अगर इस शिवरात्रि व्रत और अनुष्ठान की सोच रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें ..
कहते हैं भगवान शिव को काला रंग पसंद नहीं ऐसे में शिवरात्रि के दिन व्रत रखते हुए आप जो वस्त्र पहनते हैं ध्यान रहे उसका रंग काला ना हो।
वैसे तो लगभग हर धार्मिक कार्य में हल्दी का प्रयेाग किया जाता है और देवताओं को हल्दी अर्पित की जाती है लेकिन भगवान शिव को कभी हल्दी अर्पित नहीं करनी चाहिए क्योंकि हल्दी एक स्त्रियों के सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग की जाने वाली वस्तु है जबकि शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है। ऐसे में शिवरात्रि में भूलकर भी शिवलिंग पर हल्दी ना लगाएं।
आपने अगर कभी ध्यान दिया होगा तो देखा होगा कि शिवरात्रि पर मंदिरों के बाहर तो हर तरह के फूल बिकते हैं पर इसमें लाल रंग के फूल नहीं होते.. ज्यादातर सफेद रंग के फूल ही नजर आते हैं । ऐसा इसलिए क्योंकि शिवजी को लाल रंग के फूल नहीं चढ़ाया जाता। ऐसे में अगर आपके घर-आंगन में गुड़हल या गुलाब जैसे लाल फूल हैं तो इन्हे भूलकर भी ना चढ़ाए। साथ ही ये भी ध्यान रखे कि केतकी का फूल सफेद होने के बावजूद भोलेनाथ की पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए।
सिंदूर को स्त्री के सौभाग्य और पति की लंबी का प्रतीक माना जाता है जबकि शिव जी सृष्टि के संहारक माने जाते हैं ऐसे में शिवलिंग पर कभी सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए.. बल्कि इसकी जगह आप चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हर पूजा और अनुष्ठान में प्रयोग की जाने वाली तुलसी भगवान शिल की पूजा में वर्जित मानी जाती है। इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा में तिल भी नहीं चढ़ाया जाता है। दरअसल मान्यताओं के अनुसार तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है, इसलिए भगवान विष्णु को तो तिल अर्पित किया जाता है लेकिन तिल भगवान शिव जी को कभी नहीं चढ़ता है।
वहीं सनातन धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना गया है और हर पूजा-अनुष्ठान में इसे बजाना और इसके जरिए जल का अभिषेक देना काफी शुभ माना जाता है, लेकिन आपको बता दें कि शिवलिंग पर कभी शंख से जल अभिषेक नहीं करना चाहिए।