जिस बजट पर आपकी पैनी नजर है, उसका जिक्र तो संविधान में है ही नहीं
देश: पूरा देश बजट का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, लेकिन आपको बता दें कि संविधान में बजट का कहीं जिक्र ही नहीं है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसे कैसे हो सकता है? आजादी के बाद से ही हर साल बजट पेश हो रहा है, ऐसे में अगर हम ये कहे कि बजट का जिक्र संविधान में है ही नहीं तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। चलिए जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में खास क्या है?
एक फरवरी को देश का आम बजट पेश होने वाला है, लेकिन ऐसे में हम ये कह रहे हैं कि बजट का जिक्र संविधान में है ही नहीं, तो सवाल ये उठता है कि फिर क्यों बजट हर साल पेश होता है? ऐसे में इस रहस्य को जानने के लिए आपको हमारी इस स्टोरी को पूरा पढ़ना पढ़ेगा। मोदी सरकार का ये आखिरी पूर्ण बजट होगा, जिसकी वजह से इस बजट पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है।
दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार बजट की जगह वार्षिक वित्तीय विवरण शब्द का प्रयोग किया गया है। बता दें कि राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के दौरान संसद के दोनों सदनों के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण रखवाते हैं, जिसमें सरकार के गत वर्ष के आय/व्यय का ब्योरा होता है। आपको बता दें कि संविधान के मुताबिक,हर वर्ष फरवरी के अंतिम कार्य-दिवस में भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है, लेकिन पिछले साल से बजट एक फरवरी को पेश किया जाने लगा है। याद दिला दें कि एक फरवरी को मोदी सरकार द्वारा बजट पेश करने पर विपक्ष ने सरकार की जमकर आलोचना भी किया था।
मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट है, जिसे चुनावी बजट का नाम भी दिया जा रहा है। बता दें कि इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस साल का बजट चुनावी गतिविधियों को नजर में रखते हुए ही पेश किया जाएगा। याद दिला दें कि अगले साल लोकसभा चुनाव भी है।