ये है दुनिया का अजीबो गरीब पेड़, पत्ते-पत्ते की रक्षा के लिए फ़ौज रहती है 24 घंटे तैनात
भोपाल: इस दुनिया में हर देश की रक्षा के लिए कानून व्यवस्था बनाई गई है. ऐसे में भारत हो या कोई और देश, हर देश की अपनी सुरक्षा सेना उस देश के लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात रहती है. अक्सर आपने बड़े बड़े सेलिब्रिटीज और नेतायों के साथ उनकी सिक्यूरिटी के लिए कुछ सुरक्षा अधिकारीयों को तैनात देखा होगा. लेकिन क्या कभी आपने किसी पेड़ पौदे की र्ल्षा के लिए सेना को तैनात होते हुए देखा है? जी हाँ, हाल ही में मध्यप्रदेश के एक जिले में भारतीय सेना को एक पेड़ की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
दरअसल, मध्य प्रदेश के रायसेन के साँची स्तूप के पास लगे बोद्ध वृक्ष की सुरक्षा की जिम्मेदारी के चलते यहाँ हर रोज़ सुरक्षाकर्मीयों का पहरा लगा रहता है. जानकारी के अनुसार ये बोद्ध वृक्ष किसी बिमारी से जूझ रहा है और अगर इसकी रक्षा ना की गई तो ये पेड़ जल्द ही तहस नहस हो जाएगा. इस वी.आई.पी. वृक्ष को पिछले एक महीने से कीड़ा लग गया है. वृक्ष को चटम कर रहे इस कीट का नाम कैटर पिलर है. जिसके चलते इस पेड़ के पत्ते दिनों दिन सूखने लग गये हैं.
पेड़ की सुरक्षा कर रहे अधिकारीयों के अनुसार जब से उस पेड़ को कीट ने अपनी चपेट में लिया है, तब से उसकी सुध लेने कोई अफसर नहीं आया है. वहीँ दूसरी और उद्यानिकी विशेषज्ञ का कहना है कि पेड़ पर लगा ये कीट उस पेड़ के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है. जिसके चलते अब उस पेड़ पर ध्यान देने की ख़ास आवश्यकता है.
सांची और सलामतपुर के बीच हाईवे किनारे एक छोटी पहाड़ी पर सुरक्षा जालियों के बीच एक पेढ़ लहलहा रहा है। सामान्य तौर पर लोग इसे पीपल का पेड़ मानते हैं, लेकन इसकी कड़ी सुरक्षा को देख उनके दिमाग में यह प्रश्र जरूर उठता है कि इस पेड़ की इतनी सुरक्षा क्यों। लगभग 15 फीट ऊंचाई तक जालियों से घिरा और आस-पास पुलिस के जवान। ऐसा क्या खास है इस पेड़ मे हाईवे से गुजरने वाले जिन लोगों को यह नहीं मालूम कि इस पेढ़ की खासियत क्या है, क्यों यह इतना महत्वपूर्ण है। उन्हे आश्चर्य जरूर होता है।
दरअसल, यह पेड़ 21 सितंबर 2012 को श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे एवं मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दर्जनों देशों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मध्यप्रदेश के विश्व पर्यटन स्थल सांची के पास बौद्ध यूनिवर्सिटी की प्रस्तावित पहाड़ी पर रोपा था. जानकारी के अनुसार जिस पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उसी की एक टहनी को श्रीलंका में स्थापित किया गया था. जिसके बाद श्रीलंका से उस टाहनी को लाकर मध्यप्रदेश में लगा दिया गया था. जिसके बाद से ही इस पेड़ को बोद्ध वृक्ष के नाम से जाना जाता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार इस पेड़ की सुरक्षा के लिए मध्य प्रदेश सरकार हर महीने लगभग एक लाख रुपए खर्च कर रही है. फिलहाल इस पेड़ पर सरकार 65 लाख रुपए खर्च कर चुकी है. इस पेड़ की सुरक्षा के लिए 4 जवान दिन-रात वहां तैनात रहते हैं. साथ ही वहां नगर परिषद सांची से पानी का टैंकर भिजवाया जाता है. हालांकि इस पेड़ पर मध्य प्रदेश सरकार की नजर हमेशा टिकी रहती है इसके बावजूद भी वहां के अधिकारी इसको खतरनाक कीट से नहीं बचा पाए.
वही जिला उद्यानिकी अधिकारी एम एस तोमर ने बताया कि उन्हें इस बीमारियां कीट के प्रकोप की कोई सूचना नहीं मिली. तोमर ने बताया कि वह जल्द ही कर्मचारी भेजकर पेड़ की जांच करवा लेंगे और उस पर उचित दवा का छिड़काव करवाएंगे.