सीएम योगी के आदेश पर मशहूर सेक्स क्लीनिक पर छापा, आपत्तिजनक सामान देख अधिकारी भी रह गए सन्न
सेक्स को लेकर फैली लोगों में भ्रांतियों का असर है कि सेक्सोलॉजिस्टों के हर जिले में विज्ञापनों की भरमार रहती है। ट्रेन हो या बस, शहर-शहर फैले इन वैद्य और डॉक्टरों के पते आसानी से मिल जाएंगे। ऐसे ही एक डॉक्टर की शिकायत सीएम योगी तक पहुंची। तो अधिकारियों ने बिन देर किए डॉक्टर की क्लीनिक में छापा मार दिया। छापे के दौरान जो अधिकारियों को मिला तो उनको भी भरोसा नहीं रहा कि क्या इन चीजों से किसी की नपुंसकता खत्म हो सकती है। क्या ऐसे मर्दानगी आ जाती है।
मामला यूपी की राजधानी लखनऊ का है, जहां बीते कई सालों से डॉक्टर एसके जैन नाम के सेक्स रोग विशेषज्ञ प्रैक्टिस करते हैं। हर दिन इनके यहां लोगों की भीड़ जुटती है। जो लोग अपने दांपत्य जीवन से नाखुश हैं, उनके लिए भगवान बन चुके एसके जैन लंबे समय से अधिकारियों से लेकर नामी गिरामी लोगों को अपना मरीज बना लेने वाले एसके जैन के उस वक्त होश उड़ गए जब अधिकारियों की टीम ने क्लीनिक में छापा मारा। छापा के दौरान जो चीजें अधिकारियों को मिली उसके बाद अधिकारियों के भी होश उड़ गए, अधिकारी चर्चा करने लगे की आखिर क्या इन चीजों से भी मर्दानगी बढ़ती है।
छापे के दौरान क्लीनिक मरीजों को दी जाने वाली तमाम दवाएं बरामद हुईं लेकिन किसी भी दवा का रैपर था न ही पैकिंग। जांच अधिकारियों का शक है कि इन दवाओं को भले ही आयुर्वेदिक बताया जा रहा है लेकिन उनमें एलोपैथिक दवाओं का मिश्रण किया गया है। मौके से जांच के नमूने लेकर जांच के लिए भेजा गया है। वहीं जांच टीम ने चिकित्सक एसके जैन की डिग्री भी मांगी तो फोटोकापी ही प्रस्तुत की गई, इसे लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि चिकित्सक ने तीन दिन में मूल डिग्री प्रस्तुत करने का दावा किया है। डॉ. जैन को तीन दिन की मोहलत दी गई है। इस दौरान उन्हें दवाओं के निर्माण संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे।
जांच अधिकारियों ने बताया कि इसकी शिकायत मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर की गई थी। राजाजीपुरम निवासी संजय शर्मा ने 13 जनवरी को मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी। संजय शर्मा ने डॉ. एसके जैन की डिग्री और दवाओं पर सवाल खड़े किए हैं? क्लीनिक की वेबसाइट में भी दवाओं के दावों की हकीकत परखने की गुहार मुख्यमंत्री से लगाई है। शिकायती पत्र में डॉ. जैन द्वारा इलाज के नाम पर मरीजों से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है। इसी क्रम में टीम को जांच के लिए भेजा गया था। जांच के दौरान क्लीनिक में दवाओं का ही फर्जीवाड़ा सामने आया। बड़ी संख्या में रंग बिरंगी गोलियां व कैप्सूल मिले हैं। दवाएं बिना लेबल की थीं और उनका नाम रैपर तक नहीं थी। इनकी जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों ने जब दवा की एक अलमारी खोली तो उसमें लाल-पीली, नली और हरी गोलियां व कैप्सूल भरे मिले। साथ ही दवाओं के पैकेट पर किसी भी प्रकार का लेबल नहीं लगा था। दवाओं के निर्माण और एक्सपायर होने की तारीख का भी जिक्र नहीं था। किन कैमिकल से कैप्सूल तैयार किया गया? इसका भी कोई लेखा-जोखा पैकेट पर दर्ज नहीं था। कुछ औषधियों की शीशी भी टीम को मिली हैं उसमें यूएसए लिखा था।
दवाओं की शीशी पर नई दिल्ली लखनऊ छपा था। यह देख अफसर चकरा गए। उन्होंने डॉ. एसके जैन और उनके बेटे डॉ. सारांश जैन से इस बावत जानकारी मांगी तो वह सकपका गए। पीके मोदी ने पूछा कि क्या दिल्ली में भी कोई लखनऊ है। इस पर डॉ. सारांश जैन ने कहा कि नई दिल्ली में भी क्लीनिक की शाखा है। इस वजह से दवाओं की शीशी पर यह दर्शाया गया है।
वहीं जब इस छापेमारी के बारे में डॉक्टर एसके जैन से पूछा गया तो उन्होने इसे विरोधियों की साजिश बताया और कहा मुझे बदनाम करने के लिए अफवाह फैलाई जा रही है। मेरी डिगी की जांच कई बार हो चुकी है। डिग्री सही पाई गई है। दवाओं का निर्माण गोमतीनगर स्थित फैक्ट्री में कराया जा रहा है। दवा खोलकर मरीजों को दी जाती है इसलिए उसकी गुणवत्ता व निर्माण आदि की तारीख का जिक्र नहीं किया जा सकता है। मरीजों को फायदा हो रहा इसलिए वे यहां आ रहे हैं।