जानिए, पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों से बदला लेने वाले भारत के जांबाज़ पैरा कमांडोज के बारे में
दिल्लीः देश में जब से उरी का आतंकवादी हमला हुआ है और हमारे देश के वीर जवान शहीद हुए हैं, तब से भारतीयों में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा भड़क रहा था। सभी हिन्दुस्तानी सिर्फ यही चाहते थे कि, पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए। और इस बार इस हमले का बदला भारतीय सेना ने ले लिया। पैरा कमांडोज ने पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर 7 कैम्प्स तबाह कर दिए और करीब 38 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया।
पैरा कमांडो में होती हैं ये विशेष खुबियाँ –
दुश्मनों के इलाकों में घुसकर घात लगाकर हमला बोल देना और आतंकवादियों के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए आसमान से छलांग लगाकर दुश्मनों पर धावा बोल देना, इन सब ऑपरेशन में ये पैरा कमांडो सबसे आगे रहते है। पैरा कमांडो के आगे टिक पाना किसी के बस की बात नहीं है। ये हमारे देश की शान है।
भारतीय सेना के पास हर वक़्त आसमान से हमला करने वाले 2 हजार जांबाज़ पैरा कमांडोज तैयार रहते है। पैरा कमांडोज की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, जब वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था, तब हमारे देश के तकरीबन 700 पैरा कमांडोज ने इस युद्ध का रुख ही बदल डाला था। ये बहुत खतरनाक और जांबाज़ होते है।
10 हजार में से कोई एक बनता है कमांडोज –
भारतीय सेना के 10 हजार में से एक सफल जवान को चुना जाता है पैरा कमांडो में। पैरा कमांडो को आसमान से करीब 5 हजार से 30 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगानी पड़ती है। दुश्मनों को ख़त्म करने के लिए इन्हें कड़ी से कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। सबसे पहले 15 दिनों की जमीन पर इन्हें कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। फिर बाद में आसमान से छलांग लगाने वाली सख्त ट्रेनिंग से गुजरना होता है। हर चरण की ट्रेनिंग बहुत खतरनाक होती है। और ये ट्रेनिंग इन पैरा कमांडोज को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत भी बनाती है।
स्पेशल ऑपरेशन को ऐसे देते हैं अंजाम –
एक पैरा कमांडो अपने साथ करीब 40 किलोग्राम से लेकर 50 किलोग्राम तक वजन रखता है। और दुश्मन के इलाके को कवर करने के लिए ज्यादा उंचाई से भी छलांग लगानी पड़ती है। खुफिया सूचना के आधार पर स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है और इसके लिए पहले ख़ास तरह की ट्रेनिंग होती है। इनमें वह सब बातें ध्यान रखनी पड़ती है कि, दुश्मन के किस इलाके में छलांग लगानी है या कहाँ पर दुश्मनों के अड्डों पर हमला बोलना है।