राष्ट्रपति के फैसले के बाद कांग्रेस का निशाना, फैसले में देरी से चुनाव आयोग ने की ‘APP’ की मदद
नई दिल्ली: दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी की मुसीबतें कम होती नहीं दिख रही है। जी हां, पहले चुनाव आयोग के फैसले से आम आदमी पार्टी की टेंशन में थी, लेकिन राष्ट्रपति ने तो बंटाधार ही कर डाला। बता दें कि राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग के उस सिफारिश पर मुहर लगा दी है, जिसमें आप पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग थी। ऐसे में राष्ट्रपति का फैसला आते ही कांग्रेस ने आप पार्टी पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है। पढ़िये, ये खास रिपोर्ट
आम आदमी पार्टी को राष्ट्रपति की तरफ से बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रपति के फैसले के बाद से ही दिल्ली में पार्टियां चुनाव की तैयारियां करती नजर आ रही है। लेकिन मजेदार बात तो यह है कि राष्ट्रपति के फैसले से पहले ही दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव की तैयारियां करनी शुरू कर दी थी, जिसकी वजह से केजरीवाल और मनीष सिसोदिया बैठक करते हुए भी नजर आएं।
इधर कांग्रेस पार्टी के नेता अजय माकन ने चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाया है। जी हां, अजय माकन का कहना है कि अगर चुनाव आयोग मामलें को गंभीरता से लेता तो एक महीने पहले ही आप पार्टी टूट जाती, लेकिन चुनाव आयोग ने फैसलें में देरी करने से आम आदमी पार्टी की एक तरह से मदद ही की है।
बता दें कि कांग्रेस नेता अजय माकन यही नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार ने नियमों को दरकिनार करते हुए 7 की जगह 21 मंत्री बना दिए। जी हां, माकन ने आरोप लगाते हुए कहा कि संविधान के अनुसार सिर्फ सात मंत्री हो सकते हैं, लेकिन 21 विधायकों को मंत्री के बराबर सुविधाएं मुहैया कराईं, ये भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है, जिसका खामियाजा आम आदमी पार्टी को पहले ही भुगतना था, लेकिन मामलें में देरी हुई है। इससे पहले माकन ने केजरीवाल से नैतिक तौर पर इस्तीफा का मांग भी किया था।