केजरीवाल का कर्नाटक ड्रीम, दिल्ली से बाहर कुछ यूं पस्त हुई थी ‘आप’ पार्टी
नई दिल्ली: अन्ना आंदोलन से निकले केजरीवाल ने कुछ साल पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी का गठन किया था। इस पार्टी को शुरूआती दौर में अपार सफलताएं मिली थी। जैसाकि सभी को याद होगा कि दिल्ली में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में 70 सीटों में आप पार्टी ने 67 सीटों पर महारथ हासिल की थी, जिसके बाद से दिल्ली में इस पार्टी का दबदबा बरकरार है। हालांकि दिल्ली के बाहर इस पार्टी का सिक्का ज्यादा नहीं चल पाया।
बता दें कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी कर्नाटक में चुनाव लड़ने की तैयारियां कर रही है। जी हां, कर्नाटक में चुनाव संभवत: मई में हो सकते हैं, जिसके लिए सभी पार्टियों ने अभी से कमर कस ली है। खैर, हम यहां बात आम आदमी पार्टी की कर रहे हैं, तो ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि दिल्ली के अलावा आप पार्टी का अन्य राज्यों में क्या प्रदर्शन रहा है?
गुजरात में जब्त हुई थी जमानत
जी हां, गुजरात विधानसभा के नतीजे तो आप सभी अभी भूले ही नहीं होंगे। जहां एक तरफ इस चुनाव में कांग्रेस बीजेपी का टक्कर हो रहा था तो वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी अपनी पकड़ मजबूत बनाने के फिराक में थी। बता दें कि आप पार्टी गुजरात में 33 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन दुर्भाग्यवश यहां की एक भी सीट जीत नहीं पाई थी, जिसकी वजह से जमानत जब्त हो गई थी।
गोवा में भी नहीं खुला था खाता, वोट से करना पड़ा था संतोष
जी हां, 2017 में हुए गोवा विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी का खाता नहीं खुला था, लेकिन यहां राहत की बात यह थी कि इकने उम्मीद्वारों को कुछ वोट से संतोष करना पड़ा था। बता दें कि गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने गोवा के 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से एक भी सीट नहीं जीत सकी। हालांकि आप को राज्य में 6.3 फीसदी वोट मिले थे।
पंजाब में चमकी थी किस्मत
बता दें कि पिछले साल 2017 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पंजाब की कुल 117 सीटों से 112 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 20 सीटें आप ने जीत दर्ज की थी। पंजाब में 23.7 फीसदी वोट शेयर आप को मिला था, जिसके बाद से आम आदमी पार्टी ने इस मौके पर पार्टी का भी आयोजन किया था।
इन राज्यों के नतीजों पर अगर गौर किया जाए तो दिल्ली से बाहर केजरीवाल की किस्मत कुछ खास करती हुई नजर नहीं आई है। खैर, अब देखना यह होगा कि क्या कर्नाटक में अपनी पकड़ मजबूत बनाने में केजरीवाल एंड पार्टी कितनी सफल हो पाती है?