मोदी के ‘संयम’ को कमजोरी समझने की ‘गलती’ ना करे पाकिस्तान – अमेरिकी मीडिया
वॉशिंगटनः उड़ी हमले और उस पर भारत के कड़े रिएक्शन को लेकर अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है कि पाकिस्तान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग के प्रस्ताव को नहीं मानेगा तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। ऐर वह पूरी दुनिया के लिए एक अछूत देश बन कर रह जाएगा। अमेरिकी अखबार ने लिखा है कि अगर पाकिस्तान द्वारा मोदी के सहयोग के प्रस्ताव को अमान्य किया जाता है तो दुनिया के लिए पहले से अछूत पाकिस्तान, अब और अछूत देश बन जाएगा। us media warned Pakistan
पीएम मोदी का सब्र टूटा, तो जो होगा वह सही होगा (US media warned Pakistan) –
मोदी के पाकिस्तान के खिलाफ इस रवैये को लेकर ही वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपने लेख में कहा कि अगर पाकिस्तानी सेना ने सीमा पर से भारत में हथियार और आतंकवादी भेजना जारी रखा तो मोदी को कार्रवाई करने के लिए मोदी के पास सही कारण और स्पष्टीकरण होगा जो कि न्यायसंगत होगा। आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का रुख हमेशा खरा रहा है। मोदी के संयम को पाकिस्तान हल्के में लेने की गलती नहीं करे।
पीएम मोदी के कदम की चारों ओर हो रही सराहना –
‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने कोई भी सैन्य कार्रवाई नहीं करने का निर्णय लेने के लिए मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि हालांकि उन्होंने सैन्य कार्रवाई नहीं की लेकिन उन्होंने इसकी जगह संकल्प लिया कि यदि (पाकिस्तानी) सेना आतंकवादी समूहों का समर्थन करना बंद नहीं करती है तो वह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग करने के लिए कदम उठाएंगे।
‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने कहा कि इसके कारण ‘रणनीतिक संयम’ की नीति बनी जिसका अर्थ यह हुआ कि पाकिस्तान को पर्दे के पीछे की उसकी आतंकवादी गतिविधियों के लिए कभी भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, भले ही ये आतंकवादी हमले कितने भी जघन्य क्यों न हों।
तरजीही राष्ट्र का दर्जा और सिंधु जल संधि –
समाचार पत्र ने कहा कि वह 1960 की सिंधु जल संधि को रद्द करने पर विचार कर रहे हैं जो सिंधु नदी के जल पर पाकिस्तान के अधिकारों की रक्षा करती है। समाचार पत्र ने कहा कि वह व्यापार में सबसे तरजीही राष्ट्र का दर्जा भी पाकिस्तान से वापस ले सकते हैं। पाकिस्तान को 1996 में यह दर्जा दिया गया था जिसका उसने कभी प्रतिफल नहीं दिया। स्टिम्सन सेंटर के साउथ एशिया कार्यक्रम के उपनिदेशक समीर लालवानी ने ‘फॉरेन अफेयर्स’ में प्रकाशित एक लेख में कहा कि उरी हमले के मद्देनजर भारतीय नीति निर्माओं की स्वाभाविक नाराजगी एवं निराशा बड़ी सैन्य कार्रवाई के लिए गति बना रही है।