पति को बचाने के लिए महिला ने अपने 15 दिन के बच्चे के साथ किया सितम
एक औरत के लिए उसका पति उसका पूरा जहान होता है.. हर समय वो उसकी सलामती की दुआ मांगती है .. ऐसे में वो अपने सुहाग को बनाए रखने के लिए कुछ भी कुछ करने के लिए तैयार रहती है यहां तक की वो अपनी ममता का गला भी घोट सकती है । जी हां कुछ ऐसी ही घटना हुई है यूपी में, जहां जिंदगी के दो राहे पर खड़ी एक महिला के एक तरफ उसका सुहाग था तो दूसरी तरफ उसका अपना लाल था। महिला को पति और अपने नवजात बच्चे में से किसी एक को चुनना पड़ा जिसमें महिला ने पति को चुना और पति के इलाज की खातिर अपने नवजात शिशु को बेच दिया।
घटना उत्तर प्रदेश के बरेली के मीरगंज इलाके की है जहां एक महिला ने अपने पति के इलाज की खातिर अपने 15 दिन के मासूम बच्चे को 42 हजार में बेच दिया। ऐसे में जब इनके पड़ोसियों को कुछ दिनो तक बच्चा नही दिखा तब जाकर उन लोगों ने इस दम्पती से पूछताछ कि तो मामले का पता चला । दरअसल नवाबगंज के हाफिजगंज थाना के खो गांव में रहने वाली संजू के पति हरस्वरूप दिहाड़ी मजदूर है.. जो कि पहले बरेली के प्रेमनगर में एक मकान में मजदूरी कर रहा था लेकिन कुछ दिनों पहले वो एक हादसे का शिकार हो गया। असल में काम करने के दौरान 9 अक्टूबर के दिन हरसवरूप पर एक दीवार गिर पड़ी जिससे वो बुरी तरह घायल हो गया हालांकि उसकी जान तो बच गई पर कमर से नीचे का हिस्सा बेकार हो गया।ऐसे में पैसों की कमी की वजह से उसका इलाज भी ठीक ढ़ंग से नहीं हो सका और इधर घर में अकेले कमाने वाले हरस्वरूप के बीमार होने पर घर में आर्थिक तंगी आ गई।
साथ ही इस गरीबी के हालत में 14 दिसम्बर को हरस्वरूप की पत्नी संजू ने तीसरे बेटे को जन्म दिया।ऐसे में घर के हालात और पति की स्थिति से परेशान संजू ने अपने नवजात बच्चे को को 42 हजार रुपए में बेच दिया, ताकि बीमार पति हरस्वरूप का इलाज करा सके।संजू का कहना है कि उसके पास अपने बच्चे को बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।वहीं महीनों से चारपाई पर पड़े हरस्वरूप मौर्य का भी यही कहना है कि “बेचते नहीं तो क्या करते.. हम जैसे गरीब लोगों के पास कोई चारा नहीं था।पैसों की कमी की वजह से अब तक इलाज नहीं हो सका, अब तो पैरों ने भी काम करना बंद कर दिया है और नौकरी करने के लायक नहीं बचा हूं”।
गौरतलब है कि इस मामले में, 15 दिन के नवजात को बेचने की खबर मिलते ही स्थानीय प्रशासन के अधिकारी पीड़ित परिवार के घर पहुंचे और उन्हे मदद का भरोसा दिया है। पर यहां सवाल ये उठता है कि एक तरफ सरकार जहां स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर अरबों रुपये योजनाओं में खर्च कर रही है.. गरीब लोगों के इलाज के लिए तरह तरह की योजनाएं चला रही है फिर भी इन लोगों तक ये लाभ क्यों नही पहुंच रहा है । आखिर गरीब परिवारों को फ्री में इलाज की सहूलियत क्यों नहीं दी जा सकती है। असल में देखा जाए तो हमारे देश में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे में बड़े बदलाव की जरूरत है क्योंकि इसमें हो रहे भ्रष्टाचार की वजह से जरूरतमंदों तक सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं।