गर्भवती महिलाओं को नहीं बतानी चाहिए डिलीवरी डेट, हो सकते हैं ये नुकसान
मां बनने के की खुशी जितनी गर्भवती महिलाओं को होती है, शायद ही दुनिया में किसी और को होती हो। नन्हे मेहमान आने की खुशी में पूरा परिवार इंतजार कर रहा होता है। ऐसे में नई विधियों से पेट में पल रहे बच्चे को देखने के लिए उसकी डिजिटल फोटो और न जाने क्या क्या करवाना शुरु कर देते हैं। विज्ञान ने कुछ ऐसी तकनीकि निकाल ली है कि लोग आसानी से डिलीवरी का समय तक पता कर लेते हैं। तारीख सामने आने के बाद लोग इसका बेसब्री से इंतजार करना शुरु कर देते हैं। परिवार के लोगों में भी खुशी होती है। लेकिन इस खुशी में सबसे ज्यादा नुकसान होने की आशंका गर्भवती महिलाओं को होती है। उसके पीछे कुछ रिसर्च के बाद आए आंकड़े बताते हैं। जो बताते हैं की महिलाओं को बच्चे की पैदाइश की सही तारीख नहीं बतानी चाहिए।
दरअसल कुछ रिसर्चरों ने ये दावा किया है कि मां बनने वाली महिला को बच्चे की पैदाइश की सही तारीख नहीं बतानी चाहिए। खासकर जो पहली बार मां बनने जा रही हो, क्योंकि जैसे-जैसे डिलीवरी की तारीख नजदीक आती है, गर्भवती मां की बेचैनी बढ़ती जाती है। साथ ही तनाव भी महसूस होने लगता है। बच्चा जब तक पैदा नहीं हो जाता वो बेचैन और तनाव इतना ले लेती हैं कि इनके स्वास्थ्य और बच्चे पर भी असर पड़ता है। ऐसे में सही तारीख और वक्त बताना गर्भवती महिलाओं के लिए मुश्किल पैदा करने वाला होता है।
अमेरिका में एक सर्वे के मुताबिक, अगर नियत तारीख बीत जाने के बाद भी प्रसव पीड़ा का कोई संकेत नहीं मिलता, तो बहुत सी महिलाएं देसी नुस्खे अपनाना शुरू कर देती हैं। सर्वे के मुताबिक पचास फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो तेज मसाले वाला भोजन करना शुरू कर देती हैं। ताकि लेबर पेन जल्दी शुरू हो जाए।
विज्ञान कहता है कि बच्चा जिस थैली में रहता है उसमें एक विशेष प्रकार का पानी भरा रहता है। पानी की थैली जिसे है गर्भ की पन्नी भी कहते हैं,फटने से पहले हल्का हल्का दर्द शुरू होता है। धीरे-धीरे ये दर्द बढ़ता है। जब बच्चा बिल्कुल बाहर आने वाला होता है, तो अचानक ये थैली फट जाती है, कई बार तो थैली फटती ही नहीं है। ऐसे में डॉक्टरों को ही थैली फाड़कर बच्चा बाहर निकाला पड़ता है। कई बार अगर थैली अपने आप फट जाती है, तो डिलीवरी भी जल्द हो जाती है।
इसके साथ कुछ रिसर्च में सामने आया है कि डॉक्टर की बताई गई डेट जरूरी नहीं की सच साबित हो। डेट में एक दो दिन आगे पीछे भी हो सकते हैं। कभी कभी हफ्ते भर तक ये डेट टल जाती है। कई बार डेट से पहले ही छिल्ली फटने से डिलीवरी हो जाती है। लेकिन अगर तय डेट से आगे बात जाती है तो कुछ महिलाएं इतना तनाव ले लेती है, साथ ही डॉक्टर को दिखाने और फिर दवा खाने जैसी तमाम चीजों के करने से इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। जो खतरनाक नहीं बहुत खतरनाक हो सकता है।