खुलासा: प्रधानमंत्री कार्यालय ने 2जी मामले में मनमोहन सिंह से छुपाये थे तथ्य, जानें
नई दिल्ली: देश के अब तक के सबसे बड़े 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कल सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। ऐसा इसलिए हुआ कि सीबीआई जरूरी सबूत पेश करने में नाकामयाब हुई थी। लगभग 2 लाख करोड़ का 2जी घोटाला करने के बाद आरोपी आसानी से बरी हो गए। आपको बता दें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला कांग्रेस सरकार में हुआ अब तक का सबसे बड़ा घोटाला था। इससे कांग्रेस की छवि काफी खराब हुई थी।
विशेष अदालत ने सीबीआई के इस आरोप को ख़ारिज कर दिया कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने पहले आओ, पहले पाओ और कट ऑफ़ डेट के साथ ही स्पेक्ट्रम लाइसेंस के अहं तथ्य छिपाए थे। कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा कि ए. राजा ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी पुलक चटर्जी और टीकेए नायर ने ज्यादातर तथ्यों को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से छुपाया था।
प्रधानमंत्री कार्यालय के उच्च अधिकारीयों पर गंभीर टिप्पणी करते हुए न्यायधीश ओपी सैनी ने कहा कि मैं अभियोजन पक्ष की इस बात से हरगिज सहमत नहीं हूँ कि ए. राजा ने पूर्व प्रधानमंत्री को गुमराह किया। उन्होंने तथ्यों को भी गलत ढंग से पेश नहीं किया। पुलक चटर्जी ने जो पूर्व प्रधानमंत्री को पत्र भेजा था वह ए. राजा के पत्र से काफी बड़ा था। प्रधानमंत्री एक व्यस्त व्यक्ति होते हैं, उनके पास इतना बड़ा पत्र पढ़ने का समय नहीं होता है।
प्रधानमंत्री के लिए ए. राजा का पत्र पढ़ना ज्यादा आसान होता, जबकि चटर्जी का पत्र पढ़ना काफ़ी मुश्किल होता। रिकॉर्ड से यह भी बात स्पष्ट नहीं होती है कि पत्र को प्रधानमंत्री ने देखा भी था या नहीं। इससे साफ़ होता है कि पीएमओ से ही किसी ने दूरसंचार विभाग को नए लाइसेंस के लिए आदेश दिए थे। यह भी संभव है कि वह पुलक चटर्जी ही हों। उनके नोट रिकॉर्ड से भी साफ़ होता है कि उन्होंने दूरसंचार मंत्री से बात की थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि पीएमओ द्वारा 2जी के सम्बन्ध में पीएम को आधी जानकारी दी गयी थी।