तो क्या इसलिए भारत नहीं कर रहा पाकिस्तान पर सीधा हमला?
दिल्लीः उरी हमले के बाद से पुरे देश में गुस्से का माहौल बना हुआ है। हर कोई बस यही कह रहा है की भारत पाकिस्तान पर हमला क्यों नहीं कर देता। प्रधानमंत्री सत्ता में आने से पहले तो बहुत कहते थे, पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए ये लव लेटर लिखना बंद कीजिये। पड़ोसी मार के चला जाता है और रोते हुए अमेरिका पहुँच जाते हो। [ Why India is not attacking Pakistan directly, why Pakistan hiding himself behind Proxy war ]
इसलिए मोदी सरकार नहीं चाहती “वॉर”
आज के समय में किसी भी देश की ताकत उसके पास कितने परमाणु बम है, इससे मापी जाती है। पाकिस्तान के पास 100-120 परमाणु हथियार है जबकि भारत के पास केवल 90-110 ही है। चलिए अब थोड़ा सच का सामना भी कर लेते हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति के कुछ अनकहे नियम होते हैं। आप एक देश पर केवल एक आतंकी हमले के आधार पर हमला नहीं कर सकते। वो भी तब जब औपचारिक और आधिकारिक रूप से उस देश का हाथ साबित न हुआ हो।
हाँ, आप अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ताक पर रख कर ऐसा कर सकते हैं पर उसके लिए आपको अमेरिका और विरोधी को अफगानिस्तान होना होता है। न हम अमेरिका हैं और ना पाकिस्तान तालिबानी अफगानिस्तान। युध्द की संभावना तभी बन सकती हैं जब पाकिस्तान की सेना सीधे-सीधे इस तरह के हमले में शामिल हो। पाकिस्तान उस रास्ते को बहुत पहले ही छोड़ चुका है।
आधुनिक वॉर का नया रुप है “प्रॉक्सी वॉर” – ( Proxy war )
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कोई भी देश युद्ध की तोहमत से बचना चाहता है। इसलिए देश प्रॉक्सी वॉर का इस्तेमाल करते हैं ताकि सीधे युद्ध के नुकसान और तोहमत दोनों से बचा जा सके। एक प्रॉक्सी ( Proxy War ) का बेहतर जवाब एक प्रॉक्सी ही हो सकता है युद्ध नहीं। इसलिए कश्मीर के जवाब में बलूचिस्तान सुनाई देता है। कम से कम आधुनिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तो यही हो रहा है।
सरकार इस हमले का जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं। हमें पता न चले वो अलग बात है। और रही बात सबक की तो सबक जैसा कुछ होता नहीं है। जो देश चार युद्ध से सबक नहीं सीखा, वो एक और युद्ध से सबक सीखेगा, इस बात भी पर पूरा शक है। सबक के नाम पर सैकड़ों सैनिकों की आहुति देकर लोगों को शांति मिलती है तो ये अलग बात है।
क्या होता है “प्रॉक्सी वॉर” –
ये “प्रॉक्सी वॉर (छद्म युद्ध – Proxy War)” क्या होता है? भाषाई शब्दजाल से बाहर आकर सोचें कि यह छद्म युद्ध आखिर होता क्या है? पूर्व एनडीए सरकार के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने कारगिल लड़ाई को एक बार नहीं अनेकों बार “युद्ध नहीं..युद्ध जैसा कुछ कहा था”। प्रॉक्सी वॉर या छद्म युद्ध आमने – सामने होने वाला युद्ध नहीं है।