वैज्ञानिकों का दावा सच में देखा गया दूसरी आकाशगंगा से आया हुआ एलियन अन्तरिक्ष यान
अक्सर आपने कई हॉलीवुड फिल्मों में एलियन और अन्तरिक्ष यान को देखा होगा। हालांकि यह सच में होता है या नहीं ऐसा नहीं कहा जा सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि एलियन सच में होते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि यह बस एक कोरी कल्पना है जो मनोरंजन के लिए बनायी गयी है। लेकिन हाल ही वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि धरती से गुजारी सिगार जैसी आकृति वाली चीज कुछ और नहीं बल्कि किसी दूसरी आकाशगंगा के ग्रह से आया हुआ अन्तरिक्ष यान है। आज हम आपको इस रहस्यमयी चीज के बारे में पूरी सच्चाई बताने जा रहे हैं।
इसी साल के अक्टूबर महीने में लगभग आधा किलोमीटर की कोई सिगार की आकृति वाली चीज धरती के करीब से गुजरी थी। ओमउआमुआ नाम की इस आकृति के बारे में ज्यादातर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किसी अन्य आकाशगंगा से आया हुआ उल्कापिंड है जो हमारे सौरमंडल में बहुत तेजी से दाखिल हुआ और अब धरती के नजदीक से गुजरते हुए सौरमंडल से बाहर जा रहा है। इसके बारे में इसलिए भी इतनी बातें की जा रही हैं, क्योंकि यह अब तक देखें गए अन्य उल्का पिंडों से बिलकुल अलग है। जब यह धरती के करीब से गुजरा तो इसके और धरती के बीच की दूरी चाँद और धरती की दूरी से 85 गुना अधिक थी।
उसके बाद भी दुनिया के सबसे बड़े टेलीस्कोमप पैन स्टारर्स ने इस उल्का पिंड को देख लिया जो खतरनाक उल्का पिंडों को खोजने और उनकी पहचान करने लिए यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई में लगा हुआ है। तभी इसे वैगानिक इसे उल्का पिंड मान रहे हैं। लेकिन इसका आकार और स्पीड वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। अब वैज्ञानिकों का मानना है कि यह कोई उल्कापिंड नहीं बल्कि एक अन्तरिक्ष यान था। इस समय के सबसे मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस भी अब यह मानने लगे हैं कि हो सकता है कि यह एक अन्तरिक्ष यान ही हो जो ब्रह्माण्ड की यात्रा पर निकला हो।
इसकी गति भी इसे शक के घेरे में ला रही है। यह किसी आकाशगंगा से चल कर 1 लाख 96 हजार मील प्रति घंटे की गति से हमारे सौरमंडल में आया और पृथ्वी के नजदीक से गुजर गया। साधारण तौर पर सौरमंडल में घुसते ही उल्कापिंड सूरज की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण अपनी दिशा बदल देते हैं या टूट जाते हैं। लेकिन इसकी गति को देखकर ऐसा लगता है कि यह सूर्य या किसी अन्य ग्रह के आकर्षण में फँसे बिना ही निकल जायेगा। वैज्ञानिक अमेरिका के वर्जीनिया में स्थित सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोँप ‘ग्रीनबैंक’ का प्रयोग करने की तैयारी कर रहे हैं। इसकी से सूरज से दुगुनी दूरी तक पहुँच चुके इस रहस्यमयी पिंड की तरंगों को पकड़ा जा सकता है।