पुलिस की वर्दी में नजर आएंगे भगवान कृष्ण, शुरु हुआ विवाद
भगवान कृष्ण का जन्म का जन्म कारागार में हुआ, इसलिए जमानों से पुलिस थानों और जेलों में तैनात पुलिस कर्मी जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाते हैं, इसीलिए कुछ पुलिस कर्मियों की चाहत होती है कि उनकी तैनाती कभी मथुरा में जरूर लगे, ताकि ड्यूटी के दौरान वो भी भगवान कृष्ण की भक्ति कर सकें। मथुरा में अन्य जिलों से ज्यादा यहां विदेशी पर्यटक आते हैं, क्योंकि बरसाने की होली यहां प्रसिद्ध है। ऐसे में पुलिस को पर्यटकों से कैसे व्यवहार किया जाए ये सिखाया जाता है, हमेशा इसके लिए ओरिएंटेशन सेशन रखे जाते हैं, लेकिन बीते दिनों पुलिस को ज्यादा पर्यटर फ्रेंडली बनाने के चक्कर में एसएसपी ने ऐसा आदेश जारी कर दिया की विवाद शुरु हो गया।
दरअसल मथुरा पुलिस अधीक्षक ने भगवान कृष्ण की नगरी में पर्यटकों के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित पुलिसकर्मी तैनात करने की योजना बनाई। साथ ही तय किया कि प्रशिक्षित जवानों की वर्दी पर भगवान कृष्ण का लोगो होगा, ताकि यहां आने वाले पर्यटक आसानी से पुलिस को पहचान सके। एसएसपी स्वप्निल ममगई की माने तो भगवान कृष्ण का लोगो लगाने का उद्देश्य पुलिस को टूरिस्ट फ्रैंडली बनाना है। बीते दिनों फतेहपुर सीकरी में स्विस जोड़े को बीते दिनों कुछ युवकों ने पीट दिया था। जिसके बाद चारों तरफ पुलिस की आलोचना हुई थी। ऐसे में पुलिस को ज्यादा फ्रेंडली बनाने के लिए लोगो की जरूरत है।
एसएसपी स्वप्निल ममगई ने कहा की आगरा जहां ताजमहल के लिए प्रसिद्ध् है, उसी तरह मथुरा को बांके बिहारी मंदिर पर्यटकों को आकर्षित करता है। ऐसे में लोगो पुलिस की अलग पहचान दिलाएगा। पर्यटको के लिए पुलिस के उन जवानों को तैनात किया जाएगा, जो अंग्रेजी बोलने में सक्षम हो, ताकि पर्यटक आसानी से उनकी मदद ले सकें। बीते दिनों एसएसपी ने अंग्रेजी बोलने वाले पुलिसकर्मियों का साक्षात्कार भी लिया।
इस लोगो के प्रस्ताव को एसएसपी ने डीजीपी कार्यालय में अनुमति के लिए भेजा है। प्रस्ताव को लेकर विपक्षी दल ने इसे राज्य सरकार के भगवाकरण अभियान का हिस्सा करार दिया है। वहीं यह प्रस्ताव डीजीपी कार्यालय के पास लंबित है।
पुलिस हो या कोई अन्य सरकारी संस्थान संविधान के मुताबिक देश की धर्मनिरपेक्ष स्थिति के चलते किसी भी सरकारी विभाग में धार्मिक प्रतीक चिह्नों का प्रयोग नहीं किया जाता है। सरकारी विभागों में राज्य का प्रतीक चिन्ह लगाने की अनुमति है। साथ ही सरकार दफ्तरों में अशोक स्तंभ भी लगा सकते है। इसके अलावा यूपी पुलिस ने इस लोगो का चयन किया है। ऐसे में विवाद होना स्वाभाविक है क्योंकि पुलिस पर हमेशा सरकार के हिसाब से चलने का आरोप लगता रहा है। पूर्व पुलिस अधिकारियों का कहना है ऐसे लोगो की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इससे पुलिस की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचता है। भारत का एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के चलते सरकार किसी भी धर्म का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकती है। वृंदावन सिर्फ हिंदू पर्यटक ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग जाते हैं। ऐसे में यह लोगो संविधान का उल्लंघन होगा।