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‘मांझी द माउंटेन मैन’ की तर्ज पर इस जाबाज फैजी ने अकेले बनाई 2 किलोमीटर लम्बी सड़क

चम्पावत: आपको दशरथ मांझी के बारे में तो पता ही होगा। इनके जीवन के ऊपर एक फिल्म मांझी द माउंटेन मैन भी बन चुकी है। इन्होने अपनी पत्नी के मौत के बाद पहाड़ काटकर सड़क बनाने जैसा असंभव काम किया था। इसी पहाड़ की वजह से उनकी पत्नी को समय पर अस्पताल नहीं पहुँचाया जा सका था, जिससे उसकी मौत हो गयी थी। केवल यही नहीं इन्होने बिहार से दिल्ली तक की यात्रा पैदल ही की थी। जब आप किसी चीज को करने के पक्का इरादा बना लेते हैं तो कोई भी मुश्किल आपके रास्ते में टिक नहीं पाती है।

मांझी ने जो काम किया, उसके लिए सदियों तक दुनिया उन्हें याद करेगी। मांझी की तरह ही चम्पावत के बृजेश भट्ट ने भी कुछ कर दिखाया है, जिससे आपको हैरानी होगी। जब उनके गाँव जाने के लिए सरकार सड़क बनवाने में नाकामयाब हुई तो इस जाबाज फौजी ने खुद ही यह काम करना का मन बना लिया। यह अद्भुत कहानी चम्पावत जिले के मझोड़ा ग्राम पंचायत के पुष्पनगर गाँव की है। गाँव मुख्य सड़क से कटा हुआ था और गाँव जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था। बीच में एक पहाड़ था। जब भी वह ड्यूटी से आते अकेले ही कुदाल, हथौड़ा और छेनी लेकर चल पड़ते पहाड़ को चीरने के लिए।

वह 3 कुमाऊँ रेजीमेंट में थे और पिथौरागढ़ में पोस्टिंग थी। उन्हें पहाड़ को काटने में पुरे तीन साल लग गए। इस काम को करने के लिए उन्होंने ना ही कोई मजदुर रखा और ना ही किसी से इसके लिए मदद माँगी। 39 साल के इस फौजी ने दिन-रात मेहनत करके सड़क बना दी। हालांकि सड़क अभी कच्ची है लेकिन गाँव तक हल्के वाहन आसानी से पहुँच जाते हैं। आज बृजेश की वजह से ही मुख्य मार्ग से गाँव तक वाहन तेजी से चलने लगे हैं। बृजेश सिंह के इस काम ने ना केवल सिस्टम को आईना दिखाया है बल्कि पुरे राज्य में एक मिसाल पेश की है।

एनएच 125 से जुड़ने वाली खूनामलक सड़क से पुष्पनगर की दूरी करीब दो किलोमीटर पड़ती है, लेकिन कोई रास्ता ना होने की वजह से इलाके के लोगों को जंगलों से होकर अपने गाँव जाना पड़ता था। गाँव के लोगों ने सड़क बनवाने के लिए स्थानीय नेताओं से गुहार लगायी और अधिकारीयों से भी मिले, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बृजेश ने सरकार की अनदेखी का जवाब देने के लिए 2014 में ही पहाड़ काटने का काम शुरू कर दिया। बच्चे जमीन और नालों को फांदकर स्कूल जाते थे। बाजार से सामान लाने में भी काफी दिक्कत होती थी इन्ही सबसे व्यथित होकर बृजेश ने सड़क बनाने की ठानी।

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