एग्जिट पोल के नतीजों ने साबित किया कि गुजराती पीएम का आत्मसम्मान बन गया कांग्रेस के लिए मुसीबत
नई दिल्ली: गुजरात में इतने दिनों से चल रही सियासी जंग का कल आख़िरी दिन था। कल गुजरात में विधानसभा चुनावों का दूसरा और अंतिम चरण का चुनाव सफलता पूर्वक संपन्न हो गया। चुनाव ख़त्म होने के बाद की एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ गए। जो यह दर्शाते हैं कि इस बार भी गुजरात में कमल खिलने वाला है। बीजेपी की सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता है। आखिरकार पीएम मोदी की मेहनत रंग लायी। चुनाव से पहले यह माना जा रहा था कि इस चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस कड़ी टक्कर देगी, लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों को देखकर ऐसा बिलकुल भी नहीं लग रहा है।
इसके लिए एक करक और जिम्मेदार लग रहा है। कांग्रेसी तेना मणिशंकर अय्यर का बड़बोलापन। कई न्यूज़ चैनलों द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण से यह साफ-साफ पता चलता है कि शुरुआत में कांग्रेस की स्थिति ठीक होने के बाद भी कांग्रेस की स्थिति बुरी हो गयी, इसके पीछे मणिशंकर अय्यर का पीएम मोदी को नीच कहना हो सकता है। हालांकि यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है। लेकिन अय्यर के इस बयान से पहले कांग्रेस की स्थिति अच्छी बतायी जा रही थी।
विश्लेषकों के अनुसार राज्य में कांग्रेस को तीन युवा नेताओं, हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकरे और जिग्नेश मेवानी के साथ गंठबंधन करने पर कुछ इलाकों में फायदा हुआ है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि अगर यह गठबंधन चुनाव से कुछ समय पहले हुआ होता तो कांग्रेस को ज्यादा फायदा होता। जीएसटी के मुद्दे ने भी बीजेपी के वोट बैंक पर ज्यादा प्रभाव नहीं डाला और व्यापारियों ने भी कांग्रेस की बजाय बीजेपी को चुना। गुजरात के युवा वर्ग का समर्थन कांग्रेस को मिला है। इसकी वजह रोजगार के मुद्दे पर बीजेपी की कमजोरी को माना जा रहा है।
सौराष्ट्र के अधिकतर इलाकों में समग्र विकास की जगह पेयजल मुद्दा था। साफ़ तौर पर इसका फायदा बीजेपी को ही मिलता नजर आ रहा है, अगर जातिगत समीकरणों की बात करें तो इस बार भी मुस्लिमों और दलितों का समर्थन कांग्रेस के साथ ही रहा है। सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग का समर्थन बीजेपी को रहा है। सर्वेक्षणों के अनुसार यह साफ़-साफ़ पता चलता है कि गुजरात में अभी भी मोदी ही ब्रांड बने हुए हैं। लोगों के दिलों में उनके लिए सम्मान की भावना कम नहीं हुई है। लोगों ने उनके आत्मसम्मान के लिए कांग्रेस को अंगूठा दिखा दिया।