संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि आर्थिक सुधारों के चलते भारत में विकास की रफ़्तार तेज होने की सम्भावना
नई दिल्ली: भारत एक विकासशील देश है, इस वजह से यहाँ की विकास दर हर समय बढती ही रहती है। मोदी सरकार की नीतियों की वजह से भारत की वैश्विक छवि पहले से ही सुधर चुकी है। अब उम्मीद है कि भारत की विकास दर में भी बदलाव देखने को मिलेगा। उपभोक्ता खपत व सार्वजनिक निवेश बढ़ने और नियोजित तरीके से चलाये जा रहे आर्थिक सुधारों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को रफ्तार मिल सकती है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का आर्थिक विकास दर 7.2 फीसदी है, जबकि अगले वित्त वर्ष 2018-19 में 7.4 फीसदी होने की उम्मीद है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा जारी किये गए वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट्स 2018 रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यकालिक स्तर पर कई कठिनाइयाँ होने के बाद भी लघुकालिक स्तर पर पुरे दक्षिण एशिया में आर्थिक संभावनाएं बेहतर बनी हुई हैं।
रपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आम लोगों की अच्छी माँग और अर्थव्यवस्था की मजबूत नीतियों की वजह से आर्थिक हालात अच्छे दिखाई दे रहे हैं। बहरी माँग बढ़ने की वजह से अर्थव्यवस्था को रफ़्तार मिल रही है। इस रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है कि साल की शुरुआत में सुस्ती और नोटबंदी होने के बाद भी संभावनाएं सकारात्मक हैं। भारतीय सरकार आर्थिक सुधारों पर पर आगे बढ़ रही है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष की विकास दर का अनुमान 6.7 से बढ़ाकर 7.2 किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार यह विकास दर अगले वर्ष में और बढ़कर 7.4 तक जा सकती है। भारत में निजी निवेश की रफ़्तार काफी धीमी है जो चिंता का विषय बना हुआ है। कर्ज की मांग कमजोर है, जबकि कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में कम क्षमता का उपयोग हो पा रहा है। बैंकिंग व कॉरपोरेट सेक्टर बैलेंस शीट में समस्याओं से जूझ रहा है। कुल निवेश बढ़ाने के लिए बुनियादी क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश अहम है।