Interesting

आखिर क्यों कभी खराब नहीं होता गंगाजल, जानिए इसका वैज्ञानिक कारण

सनातन धर्म में गंगाजल का कितना महत्व ये सब हम जानते हैं.. पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान से लेकर इसका जल सभी शुभ कार्यों में प्रयोग किया जाता है। सभी हिन्दुओं के घर में आपको गंगाजल अवश्य मिल जाएगा। लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि आखिर सदियों से इसका जल इतना पवित्र कैसे है.. हम घरों में भी जो गंगाजल रखते हैं वो भी सालों बाद तक वैसे ही बना रहता है जबकि सामान्य जल तो कुछ ही दिनों में खराब हो जाता है। साथ ही गंगा नदी में तो मृत शरीर से लेकर आसपास का कचड़ा तक प्रवाहित होता है ऐसे में ये आज भी इतना पवित्र और उत्तम क्यों माना जाता है। ये लोगों के बीच जिज्ञासा का विषय है कि आखिर क्यों गंगाजल कभी भी खराब नही होता और आज हम आपको इसकी वास्तविक वजह बताने जा रहे हैं।

दरअसल सनातन धर्म पूर्णतया वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है और गंगाजल की पवित्रता का कारण भी वैज्ञानिक है जिसके बार में हाल ही में एक शोध सामने आई है। इस शोध में गंगा के जल के कभी भी खराब ना होने की की वजह एक वायरस को बताया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगाजल में एक वायरस पाया जाता है जिसके के कारण ये कभी भी सड़ता नही है।यही वजह है कि आप इसको चाहें कितने भी दिनों स्टोर करके रख लें पर ना तो इसका रंग परिवर्तन होगा और ना ही इसमें कोई गंध आएगी।

वैसे इस शोध का भी अपना इतिहास है.. असल में इस शोध की शुरूआत सन 1890 में एक ब्रिटिश साइंटिस्ट अर्नेस्ट हैंकिन गंगा ने की थी । अर्नेस्ट हैंकिन जिस समय गंगाजल पर रिसर्च कर रहे थे.. उस समय भारत में हैजा फैला हुआ था और उस दौरान लोग मरने वालों की लाशें गंगा नदी में ही फेंक दिया करते थे। ऐसे में ​हैंकिन को डर था कि कहीं गंगा में नहाने से लोगों को हैजा न हो जाए। पर हैंकिन ने जब गंगाजाल पर रिसर्च किया तो परिणाम देख वो हैरान रह गए.. क्योंकि उनके शोध में गंगाजल बिल्कुल ही शुद्ध निकला। जबकि वो उसे दूषित मान रहे थे.. उनको तो भय था कि लोग उस पानी को पीने या उसमें नहाने से बीमार पड़ जाएंगे। ऐसे में हैंकिन को अपने शोध से ये बात समझ में आ गई कि गंगाजल कोई सामान्य जल नही है।

बाद में हैंकिन के इस शोध को एक 20 साल के फ्रैंच साइंटिस्ट ने आगे बढ़ाया और अपनी शोध में पाया कि गंगाजल में पाए जाने वाले वायरस हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं। इसी वजह से गंगा के निर्मलता और शुद्धता को बनाए रखने वाले इस वायरस को नए वैज्ञानिकों ने ‘निंजा वायरस’ का नाम दिया है। वैसे अगर इस शोध की बात सही है तो गंगाजल में पाए जाने वाले इस वायरस से कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों का इलाज भी सम्भव हो सकता है और फिलहाल वैज्ञानिक इस पर शोध भी कर रहे हैं।

Back to top button