ये हैं वो महाशय, जिन्होंने ताज़महल और लाल किले को बेच दिया था
नई दिल्ली: वैसे तो भारत में कईं ठग मौजूद है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ठग से मिलवाने जा रहे हैं, जिसका नाम आज भारत का बच्चा बच्चा जनता हैं. और भला ऐसे लोगो का नाम कौन नहीं जानेगा क्यूंकि, इन महाशय के कारनामे ही कुछ ऐसे थे. दरअसल, हम आज बात कर रहे हैं भारत के सबसे बड़े ठग “नटवरलाल”की. इस ठग ने ताजमहल को तीन बार, लाल किले को दो बार और राष्ट्रपति भवन को 1 बार बेच दिया. और तो और इस बात की खबर किसी को भी नहीं लगी . लेकिन, हर एक अपराधी एक दिन कानून की गिरफ्त जरुर आता है. ऐसे ही जब इस महँ शक्स को गिरफ्तार किया गया तो, इसने पुलिस द्वारा पूछ ताछ में बताया की–“ मैंने किसी को धमकी दे कर ये पैसे नहीं लिए हैं, बल्कि लोग खुद हाथ जोड़ कर मुझे पैसे देते हैं’ .. आगे उन्होंने कहा कि अगर आपके पास दिमाग होगा तो आप सच का पता लगा लेंगे . भारत के सबसे बड़े ठग को लोग नटवरलाल के नाम से ही जानते हैं मगर, आज के इस आर्टिकल में हम आपको इनके बारे में कुछ ऐसी बाते बतायेगे, जो शायद आपको भी मालूम नहीं होंगी. तो देर किस बात की दोस्तों? चलिए जानते हैं इनके कारनामों को…
नटवरलाल के नाम से प्रसिद्ध भारत के सबसे बड़े ठग का नाम मिथलेश कुमार श्रीवास्तव था. बताया जाता हैं कि वो चोर को भी लूट लिया करते थे. इसके इलावा उन्होंने कईं वेश्याओं के भी पैसे और गहने लुटे थे.मिथलेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ़ नटवरलाल का नाम उस समय सुर्खियो में आया जब उन्होंने राष्ट्रपति भवन को बेच दिया था.
पैसे के ठग मिथलेश कुमार श्रीवास्तव ने असल ज़िन्दगी में वकालत की हुई थी. मगर, फिर भी उन्होंने इस ठगी के काम को ज्यादा महत्व दिया और भारत के सबसे बड़े ठग बन गए. वह इतने बड़े ठग थे की उनको 8 राज्यों की पुलिस खोज रही थी. उनके नाम पर करीब 100 से भी जायदा मामले दर्ज हैं. उनको पुलिस गिरफ्तार करती और कुछ ही समय में वह कानून को चकमा दे कर भागने में कामयाब होते रहे. आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि नटवरलाल 8 बार अलग अलग जेल से फरार भी हो चुके हैं. उन्होंने ठगी करने के लिए किसी को भी नही छोड़ा. नटवरलाल ने राजीव गाँधी , राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और भी कई लोगो के नाम से ठगी की.
एक समय ऐसा भी था जब उनके नाम का खौफ पुरे भारत में था. साल 1970 से 1990 तक उन्होंने हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े लोगो को ठगा . कानून की नज़र में भले ही नटवरलाल एक अपराधी हो मगर नटवरलाल की माने तो वह खुद को एक समाज सेवक कहते थे. एक बार पुलिस की पूछताछ में उन्होंने बताया था की “मैं तो लोगो को सिर्फ झूठ बोलता हूँ और अगर लोग मेरे झूठ को सच मान कर पैसे दे देते हैं तो इसमें मेरा क्या कसूर हैं “.उन्होंने सरकार को भी प्रस्ताव दिया था की अगर सरकार इजाजद दे तो वो अपनी ठगी से भारत के ऊपर का सारा विदेशी कर्जा भी चूका देंगे.
मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ़ नटवरलाल का जनम सिवान जिला के बंगरा गाँव में हुआ था, उन्होंने तीन बार ताजमहल दो बार लाल क़िला और एक बार राष्ट्रपति भवन बेचकर दुनिया को यह बता बता दिया था की उनमे भी कुछ अलग बात हैं. नटवरलाल ने उस समय के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जाली हस्ताक्षर करके भी ठगी की थी. इसके इलावा उन्होंने धीरूभाई अम्बानी, टाटा और बिरला से भी करोड़ो रूपए ठगे. ऐसे ठग की ठगी को हमारा सलाम!