2019 के आम चुनावों के बाद होनी चाहिए अयोध्या की सुनवाई, अपने इस बयान के बाद बुरे फँसे सिब्बल
नई दिल्ली: सात जनवरी 2011 के दिन जब केन्द्रीय सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने 2जी घोटाले पर यह बयान दिया था कि वास्तव में नुकसान तो जीरो हुआ है। उनके इस बयान के बाद देश के सभी लोग हैरान हो गए थे। 2जी का लाइसेंस पाने वाली सभी कंपनियाँ रातों-रात मालामाल हो गयी थी। कपिल सिब्बल के इस बयान के बाद मनमोहन सरकार को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। सिब्बल की छवि भी खराब हुई और उन्हें जीरो लास वाला मंत्री कहा जाने लगा।
एक बार फिर कापिल सिब्बल ने वही गलती की है। इस बार उन्होंने अपने उट-पटांग बयान अयोध्या सुनवाई पर दिया और कहा कि इसकी सुनवाई 2019 के आम चुनावों के बाद होनी चाहिए। 5 दिसंबर की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने यह दलील देकर सबको हैरान कर दिया। एक तरफ आम जनता चाहती है कि अयोध्या मामले मा निपटारा जल्द से जल्द हो जाये और दूसरी तरफ सिब्बल का यह बयान, वाकई हैरान करता है। सिब्बल ने यह बयान देकर कांग्रेस की मुसीबतों को और बढ़ा लिया है।
सिब्बल के इस दलील के बाद ना केवल बीजेपी नेताओं ने इसका विरोध किया बल्कि सिन्नी वाफ्फ़ बोर्ड के नेताओं ने भी इसपर असहमति जताई। सिब्बल ने सफाई देते हुए कहा कि वह वाफ्फ़ बोर्ड के वकील हैं ही नहीं, जबकि अदालती दस्तावेज यही कह रहे हैं कि बोर्ड के वकील सिब्बल ही हैं। आखिर सच क्या है यह तो पता नहीं लेकिन कांग्रेस को भी यह जवाब देते हुए नहीं बन रहा है कि सिब्बल नेता की हैसियत से केस लड़ रहे हैं या वकील की हैसियत से। अगर वह वकील की हैसियत से केस लड़ रहे हैं तो वह इस केस का निपटारा जल्दी क्यों नहीं चाहते हैं।
अब यह सवाल भी उठ रहा है कि अगर वह नेता की हैसियत से केस लड़ रहे हैं तो क्यों उनकी पार्टी चाहती है कि इस केस का निपटारा देर से हो। आपको बता दें कपिल सिब्बल का यह बयान गुजरात चुनाव से ठीक पहले आया है। बीजेपी इसका फायदा चुनाव में अच्छी तरह से उठा सकती है। सिब्बल के इस बयान से कांग्रेस की मुसीबतें गुजरात में और भी बढ़ गयी हैं। अगर राहुल गाँधी राम भक्त और शिव भक्त हैं तो उनकी पार्टी अयोध्या निपटारे की राह में क्यों बाधा बन रही है।