मुग़ल शासक अकबर ने चलाया था राम-सीता का सिक्का, बनारस से इंडोनेशिया तक चलते थे ये सिक्के
नई दिल्ली: आज के समय में राम सिर्फ भगवान ही नहीं बल्कि लोगों के रोम-रोम में बसे हुए हैं। इसी राम-नाम की झलक को इंदिरा गाँधी कला केंद्र आयोजित लीला प्रदर्शनी में देखा जा सकता है। यहाँ आप नृत्य और नाट्य परम्परा में 40 से ज्यादा प्रकार की राम लीलाओं को देख सकते हैं। प्रदर्शनी में अलग-अलग रामलीला से जुड़ी 1000 से ज्यादा वस्तुओं को भी प्रदर्शित किया गया। इस प्रदर्शनी का आयोजन देशभर की 23 संग्रहालयों के सहयोग से किया गया। इस रामलीला में इंडोनेशिया और थाईलैंड में होने वाली राम लीलाओं के बारे में जानकारी मी मिल सकती है।
साथ ही वहाँ के पत्रों की वेशभूषा और मुखौटों को देखने का भी मौका मिलेगा। आपको बता दें इंदिरा गाँधी कला केंद्र में लगी यह प्रदर्शनी 17 दिसंबर तक चलने वाली है। इंदिरा गाँधी कला केंद्र की प्रोफ़ेसर मौली कौशल कहती हैं कि रामायण को सिर्फ रामायण की तरह ही नहीं बल्कि भारतीय चिंतन के बीच मानव को रखकर देखा गया है। राम लीलाओं को पुरे संसार की गतिविधियों में भी देखा जा सकता है। मौली बताती हैं कि लिविंग ट्रेडिशन ऑफ़ राम कथा पर प्रोजेक्ट 2007 में शुरू किया गया थ।
इसको लेकर यूनेस्को में भी दस्तावेज पेश किये गए थे। इसका मकसद भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली राम लीलाओं के माध्यम से राम के स्वरुप को पूरी दुनिया के सामने रखना था। इसी को लेकर यह प्रदर्शनी पहली बार आयोजित की गयी है। प्रदर्शनी में आप बनारस के प्रसिद्ध रामलीला के एक महीने का वीडियो भी देख सकते हैं। इस प्रदर्शनी में बनारस के रामनगर की रामलीला में बनी मरीच की कलाकृतियों को भी देखा जा सकता है। आपको बता दें रामनगर की रामलीला अपने संवाद की वजह से पुरे विश्व में प्रसिद्ध है।
उन्होंने बताया कि रावण विणा बजता था। पूर्वोत्तर का रावण हत्था भी लोगों को खूब पसंद आएगा। इसे बजाते हुए लोक गाथाएं गाई जाती हैं। इंडोनेशिया के बाली में रामलीला के मंचन के समय बजाये जाने वाले वाद्य यन्त्र गैमलन को भी आप सुन सकते हैं। मुगल बादशाह अकबर ने भी राम और सीता के नाम का एक सिक्का जारी किया था। चाँदी से बने हुए इस सिक्के के एक तरफ राम और सीता की प्रतिमा बनी हुई थी तो दूसरी तरफ कलमा खुदा हुआ था। अकबर द्वारा चलाये गए इस सिक्के को सांप्रदायिक सौहार्द्र के प्रतिक के रूप में जाना जाता है।