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जाने ब्रह्मोस मिसाइल के नाम से क्यों थर थर कांपते हैं दुश्मन देश

६ – यह १० मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड में नहीं आती.

७ – ब्रह्मोस मिसाइल रडार की पकड़ में नहीं आती है. ध्वनि की गति से तेज चलने के कारण यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है. इसको मार गिराना लगभग असम्भव है.

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८ – ब्रह्मोस मिसाइल अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है. वहीं ब्रह्मोस के प्रति सेकंड १ किलोमीटर की तुलना में चीन की मिसाइल की गति मात्र २०० मीटर प्रति सेकेंड है.

९ – आम मिसाइलों के विपरित यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है.

१० – ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की पहली और एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे नौसैनिक प्लेटफार्म से लंबवत और झुकी हुई दोनों अवस्था में प्रक्षेपित किया जा सकता है.

थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकने वाली यह ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम है. भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम को मिलाकर इस मिसाइल का नाम ब्रह्मोस रखा गया है. रूस इस परियोजना में लॉन्चिंग तकनीक उपलब्ध करवा रहा है.

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