बवासीर से पीड़ित लोगों के लिए रामबाण है ये फल, गुठली से लेकर छाल,पत्ती तक हैं उपयोगी
देश में बढ़ती भागदौड़ और अनियमित दिनचर्या से जहां लोगों में बीमारियां घर कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ पेट और हाजमें की समस्या से हर दूसरा व्यक्ति पीड़ित और दुखी है। ऐसे में लोगों के लिए बवासीर की बीमारी होना कोई बड़ी बात नहीं है। अनियमित दिनचर्या के चलते पेट में स्टूल कड़ा हो जाता है। जिसके बाद गुदा के रास्ते में खरोंच आ जाता है। जो धीरे धीरे बवासीर का रूप ले लेती है। ऐसे में इससे बचने के लिए न सिर्फ दिनचर्या सुधारने की जरूरत है। बल्कि बचाव और कुछ आयुर्वेदिक इलाज से मुक्ती पाने के आसान तरीके भी हैं। जिनका आज हम जिक्र करने वाले हैं। ऐसा ही एक मौसमी फल है जामुन जिसको खाने से बवासीर से लाभ मिलता है। बल्कि जामुन का उपयोग कई तरीके से किया जा सकता है।
बवासीर के लिए यूं तो कई चूर्ण और दवाइयों के माध्यम से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन उनमें से कुछ इलाज ऐसे है जो न सिर्फ महंगे है। बल्कि बीमारी को जड़ खत्म करने में भी कारगर नहीं हैं। ऐसे में जामुन की गुठली और आम की गुठली बवासीर के लिए काफी लाभकारी है। बवासीर से पीड़िक रोगी आम और जामुन के भीतर का भाग सुखाकर दोनों को पीस लें और चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ पीने से बवसीर ठीक होती है। इसके साथ ही बवासीर में खून का गिरना बंद हो जाता है।
जामुन की गुठली यानी बीज ही नहीं जामुन के पेड़ की छाल भी बवासीर के लिए लाभकारी है। जामुन के पेड़ की छाल का रस निकालकर उसके 10 ग्राम रस में शहद मिलाकर रोज सुबह-शाम पीने से बवासीर रोग ठीक होता है साथ ही खून साफ होता है। इसके अलावा खूनी बवासीर में खून का गिरना रुक जाता है।
जामुन की गुठली और छाल के साथ साथ जामुन की कोमल पत्तियां भी बवासीर के लिए रामबाण है। जिसका उपयोग करके बवासीर में लाभ पाया जा सकता है। इसके लिए करना ये है कि 20 ग्राम रस निकालकर उसमें थोड़ा बूरा मिलाकर पीयें। इससे खूनी बवासीर ठीक होती है।
बवासीर के रोगियों को जामुन के सेवन में कुछ सावधानियां भी बरतनी होती है। क्योंकि जामुन का अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, बुखार, सीने का दर्द, कफवृद्धि व बात विकारों के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इसके रस को दूध के साथ सेवन न करें।