भोपाल गैस कांड के 33 साल, आज भी लोगों की जान का दुश्मन बना हुआ है 346 टन जहरीला कचरा
भोपाल: भोपाल गैस कांड के बारे में तो आप पहले से ही जानते होंगे। आपको बता दें भोपाल गैस हादसा पूरी दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक गैस हादसा था। इतना बड़ा औद्योगिक हादसा अब तक के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था। 2-3 दिसंबर 1984 की काली रात के दिन जब पूरा भोपाल नींद के आगोश में था तभी लोगों ने अपनी आँखों में जलन महसूस की। कुछ ही देर में आँखों की जलन इतनी बढ़ गयी कि लोगों को कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था। कुछ लोगों को उल्टियाँ भी आनी शुरू हो गयी।
बाद में लोगों को पता चला कि शहर के बीच में स्थित यूनियन कार्बाइड कंपनी में टैंक फट गया है। लोगों ने जान बचाने के लिए यहाँ-वहाँ भागना शुरू कर दिया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। शहर का एक हिस्सा मिथाइल आइसो साइनाईट की चपेट में आ गया और देखते ही देखते लाशों का ढेर लगना शुरू हो गया। उस एक रात में लगभग 8000 लोगों ने अपनी जान गँवाई और लगभग 6-7 लाख लोग गैस के जहरीले प्रभाव से पीड़ित हो गए। अब तक गैस के जहरीले प्रभाव से मरने वालों की संख्या लगभग 25 हजार के पार चली गयी है।
हालांकि गैस कांड को 33 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी लोगों के जेहन में उस काली रात का डर इस कदर से बैठा हुआ है जैसे वह कल की ही बात हो। आज भी जब लोगों से उस रात के बारे में बात की जाती है तो उनके जख्म हरे हो जाते हैं और उनका दर्द साफ़-साफ़ उनकी आँखों में देखा जा सकता है। गैस कांड के इतने सालों के बाद भी खतरा जस का तस बना हुआ है। इसका कारण है कार्बाइड कंपनी में रखा हुआ 346 टन जहरीला कचरा। जो आज भी लोगों के जीवन को किसी ना किसी तरह से प्रभावित कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 10 टन जहरीले कचरे को इंदौर के पास पीथमपुर में निष्पादित किया गया। लेकिन इस काम के बाद इसका पर्यावरण पर कितना दुष्प्रभाव हुआ, इसके बारे में अभी खुलासा होना बाकी है। बचे हुए जहरीले कचरे को कैसे और कहा ठिकाने लगाया जाये, आज भी सरकार के लिए यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
जहरीले कचरे में शामिल हैं ये चीजें:
*- सेविन व नेफ्था वेस्ट-95 मी.टन
*- रियेक्टर वेस्ट-30 मी.टन
*- सेमी प्रोसेस्ड कीटनाशक-56 मी.टन
*- बॉयलर और आसपास का जहरीला कचरा-मिट्टी- 165 मी.टन