तीन तलाक को घोषित किया जायेगा गैर जमानती अपराध, तलाक देने वालों को हो सकती है तीन साल की जेल
नई दिल्ली: तीन तलाक का मुद्दा देश में काफी समय से चल रहा है। तीन तलाक देकर पत्नी को निराश्रित छोड़ने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए केंद्र की राजग सरकार जल्द ही एक नया कानून लाने की तैयारी में है। इस कानून के लिए राज्यों से भी राय माँगी गयी है। इस कानून में तीन तलाक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होगा। इसमें दोषी पाए जाने वाले पतियों को तीन साल तक की सजा और जुर्माने का भी प्रावधान होगा। आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक बताकर निरस्त कर दिया था।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया है, इसके बावजूद जगह-जगह से तीन तलाक की घटनाएँ सुनने को मिल रही हैं। लोग छोटी-छोटी बात पर अपनी पत्नी को तलाक दे दे रहे हैं। इसको ध्यान में रखकर पीएम मोदी ने नए कानून पर विचार करने के लिए मंत्रिमंडलीय कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी में राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, पीपी चैधरी और डॉ. जीतेन्द्र सिंह भी शामिल थे। केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं पर उनके पतियों द्वारा की जा रही ज्यादतियों पर अंकुश लगाने के लिए इस कानून को लाने का विचार बनाया है।
सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक पर फैसला आने से पहले इस साल तीन तलाक की 177 घटनाएँ हुई थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 67 घटनाएँ हुई हैं। इनमें से सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश के हैं। यह आंकड़े दर्ज की गयी शिकायतों के आधार पर हैं, जबकि कई मामले में शिकायत ही दर्ज नहीं करवाई जाती है। हाल ही में एक एएमयू प्रोफ़ेसर ने व्हाट्सएप से अपनी पत्नी को तीन तलाक दिया है। सरकार सामाजिक सुधार के लिए यह सख्त कानून लाने जा रही है।
नए कानून का मसौदा तैयार किया जा चुका है। केंद्र सरकार ने राज्यों को पत्र भेजकर उनसे उनका विचार माँगा है। ऐसा माना जा रहा है कि इसी सहित सत्र में सरकार इस पर बिल ला सकती है। शादी, तलाक, बच्चों की कस्टडी समवर्ती सूची का विषय है, जिसपर राज्य और केंद्र दोनों कानून बना सकते हैं। लेकिन किसी भी सूरत में राज्य केन्द्रीय कानून के खिलाफ कानून नहीं बना सकता है। महिलाओं का कहना है कि कोई ऐसी फोरम नहीं है जहाँ वह तलाक के बाद जाकर मदद माँग सकें। इसके बाद ही सरकार यह कानून लाने के लिए तैयार हुई है।