मोदी के बढ़ते रुतबे को कारण चीन की चमक हुई फिंकी, मिला ऐसा सम्मान….
जब भी G२० राष्ट्रों का ग्रुप फ़ोटो सेशन होता है, तो जो मेजबान देश होते हैं वोह सभी देशों के प्रमुखों को उनकी अहमियत के अनुसार कतार में खड़ा करते हैं. और इस कारण भारत के प्रधानमंत्री को हमेशा दूसरी कतार में स्थान मिलता है. २०१२ के G२० सम्मेलन में मनमोहन सिंह भी ग्रुप फोटो में दूसरी पंक्ति में खड़े थे .
साल २०१४ में भाजपा सरकार बनने के बाद जब मोदी २०१५ में तुर्की के G२० सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे तब उन्हें ग्रुप फोटो सेशन में दूसरी लाईन र में ही जगह मिली . G२० समिट की मेजबानी भारत ने साल २००२ में की थी जिसमें मेजबान का पहली कतार मैं खडा होना निश्चित होता है परंतु साल २००२ के बाद से कोई भी भारत क प्रधानमंत्री इस दूसरी कतार से आगे नही आ पाया. आज की स्थिती ये है की पूरे विश्व मैं भारत की छवि शक्तीशाली राष्ट्रों की हो रही है
भारत के दूसरी पंक्ति में खड़े होने के इस नियम को नरेंद्र मोदी ने हाल ही में हुए G२० समिट में बदल कर रख दिया, विश्व के शक्तीशाली राष्ट्रों को भारत की ताकत को मानने मैं मजबूर कर दिया
आखिरकार चल ही गया मोदी का जादू
G२० समिट में फोटो सेशन का यह नियम है की हर देश के प्रमुखों को उनके रुतबे और उस देश के ताक़त के अनुसार जगह दी जाये.
चीन के समाचार पत्रिका के मुताबिक नरेंद्र मोदी को प्रथम कतार में स्थान मिलना भारत की बढ़ती ताकत और देश की छबी सुधाअरने की दिशा मैं नरेंद्र मोदी के सराहनीय प्रयासों को साबित करत है.
दुनिया के शक्तीशाली देशों ने भारत के बढ़ते रुतबे को अब स्वीकार किया है एवं उसी का नतीजा है की १४ सालों से मिल रही दूसरी कतार में जगह आज प्रथम कतार में बदल गयी है.
आखिरकार चल ही गया मोदी का जादू